शाहजहांपुर हत्याकांड- मां को हो रहा पछतावा, रोते हुए बोली- इन्हें पालने को खुद कभी नहीं पहनी चप्पल.. पति ने मार डाला

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कौशल्या अपनी बेटी कीर्ति को लेने उसके स्कूल पहुंची तो उसने परीक्षाओं का हवाला देकर साथ आने से मना कर दिया था। बोली थी- मम्मी आप चली जाओ… पापा हमको मार थोड़ी न डालेंगे। मैं छोटे भाई को भी संभाल लूंगी।

चार बच्चों और पति को खोने के बाद कौशल्या को इस बात का पछतावा है कि जाते समय वह बच्चों को साथ क्यों नहीं ले गई? साथ ले जाती तो शायद उनकी जान न जाती। उसने इसकी पूरी कोशिश भी की थी। घर से निकलते वक्त बेटे को गोद में उठाया तो राजीव ने छीन लिया। उसे 20 रुपये का नोट और खिलौने देकर पुचकारने लगा था।

कौशल्या अपनी बेटी कीर्ति को लेने उसके स्कूल पहुंची तो उसने परीक्षाओं का हवाला देकर साथ आने से मना कर दिया था। बोली थी- मम्मी आप चली जाओ… पापा हमको मार थोड़ी न डालेंगे। मैं छोटे भाई को भी संभाल लूंगी। हालांकि, सनकी राजीव ने सभी के भरोसे को तोड़ दिया।

पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंची कौशल्या ने बिलखते हुए बताया कि जिन बच्चों को पालने के लिए उसने खुद कभी चप्पल तक नहीं पहनी, राजीव ने ही उनका कत्ल कर दिया। दोपहर में उसने दाल-चावल बनाया था। राजीव ने उसे बेवजह पीटना शुरू कर दिया। इससे वह बेहोश हो गई थी। बच्चों को छोड़कर जाने का मन नहीं था, लेकिन पति के गुस्से से बचने के लिए वह मायके चली गई थीं। बच्चों को छोड़कर जाने के लिए वह खुद को दोषी मानती रहीं।

 

बच्चों की याद में रातभर सो नहीं पाई
कौशल्या ने बताया कि बच्चों के बिना उसका मायके में मन नहीं लग रहा था। रातभर उसे नींद नहीं आई। उसने ससुर को कॉल करके कहा था कि बच्चों को देखते रहना। उसने ससुर से इसकी शिकायत भी की। इस पर ससुर पृथ्वीराज बोले- दिनभर मजदूरी करने के बाद घर आए थे। रात 12 बजे तक कई बार घर में झांककर देखा था। बच्चों और राजीव को सोते देखकर वह खुद भी अपनी झोपड़ी में जाकर सो गए। सुबह तक सबकुछ खत्म हो गया था।

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मुझे भी मार दो… इसी चीरघर में आएगी मेरी लाश
कौशल्या बोलीं कि हमें भी मार दो। नहीं मारोगे तो फंदे से लटककर जान दे दूंगी। इसी चीरघर में मेरी भी लाश आएगी। अब मैं जिंदा रहकर क्या करूंगी? पोस्टमॉर्टम हाउस पर वह चीखती रही और परिजन उसे संभालते रहे। महिला पुलिसकर्मियों ने भी उसे सांत्वना देने की कोशिश की। बच्चों को पालने के लिए तैयार थे रिश्तेदार, पर राजीव को नहीं था मंजूरपरिवार की गरीबी और राजीव की मानसिक स्थिति को देखते हुए रिश्तेदार उनके बच्चों को पालने के लिए तैयार थे, पर राजीव को यह मंजूर नहीं था। कुछ समय पहले राजीव का बहनोई राजकुमार उसकी बेटी कीर्ति को अपने शाहबाद स्थित घर ले गया था। इस पर राजीव ने उसे कई बार कॉल की। कहा कि बेटी को वापस छोड़ जाओ, वरना तुम्हारे घर में आग लगा देंगे। इसके बाद राजकुमार कीर्ति को घर छोड़ गए थे।
Shahjahanpur Murder Case Mother regrets she said I never wore slippers myself to raise them

कहता था राजीव… सबको मारकर मर जाऊंगा
हादसे से पहले 14 साल तक राजीव पत्नी और बच्चों के साथ गरीबी के बावजूद हंसी-खुशी बसर करता था। कौशल्या के मुताबिक, पहले वह बच्चों को बहुत चाहता था। हादसे के बाद उसका खुद पर नियंत्रण नहीं रह गया था। वह अचानक हिंसक हो जाता था। कई बार पुलिस भी बुलानी पड़ी थी। स्थिति को देखते हुए पुलिस भी समझा-बुझाकर लौट जाती थी। अक्सर कहता था कि सबको मारकर वह खुद मर जाएगा। हालांकि, वह ऐसा कर ही देगा, इसका बिल्कुल यकीन नहीं था।
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सल्फॉस की गोलियां भी लाया था
राजीव के दिमाग में आत्मघाती विचार काफी समय से चल रहे थे। एक बार वह सल्फाॅस की गोलियां भी ले आया था। कौशल्या ने किसी तरह उनकाे तालाब में फेंक दिया था। यह बात पता चलने पर उसने कौशल्या को पीटा भी था। उसने कहा था कि कितनी बार फेंकोगी? तुम्हें मार डालूंगा और जेल चला जाऊंगा।
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डाॅक्टर साहब… दिमाग में सनसनाहट होती है… लगता है सब मार देंगे
शाहजहांपुर। डाॅक्टर साहब दिमाग में सनसनाहट होती है, लगता है सब मार देंगे… यह बात रोजा के मानपुर चचरी गांव निवासी राजवीर ने उपचार करने वाले चिकित्सक से कही थी। परिजनों ने एक साल पूर्व हुए हादसे के बाद राजवीर को बरेली के मानसिक चिकित्सालय में दिखाया था, तब चिकित्सक ने पर्चे पर उसकी कही बात लिखकर उसका उपचार शुरू किया था।
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वारदात के बाद घटनास्थल पर पहुंचे एडीजी रमित शर्मा व आईजी डॉ. राकेश सिंह ने जांच पड़ताल की। पुलिस ने अलमारी से एक थैला बरामद किया। थैले से उसकी दवाई, डाॅक्टर के पर्चे व इलाज से संबंधित अन्य दस्तावेज मिले। पूरा क्राइम सीन देखने के बाद एडीजी मकान के बाहर आए। पाकड़ के पेड़ के नीचे खड़े ग्राम प्रधान अशोक कुमार व राजवीर के रिश्तेदारों से बात की।
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सभी का कहना था कि हादसे से पहले राजीव बिल्कुल सामान्य था। वह आठवीं तक पढ़ा था, लेकिन बहुत होशियार था। सबसे हंसकर बोलता था। कभी किसी से उसका झगड़ा नहीं हुआ। एक साल पूर्व हुए हादसे के बाद से उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया था। राजवीर को जरा-जरा सी बात पर गुस्सा आ जाता था। पत्नी से भी झगड़ा करने लगा था। चिड़चिड़ा होने के साथ ही वह अपने में ही सीमित हो गया था। कभी काम करता तो कभी नहीं करता था।
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38 मिनट तक एडीजी व आईजी ने बारीकी से जांच की
घटना के बाद दोपहर को एडीजी-आईजी ने करीब 38 मिनट तक कमरे में बारीकी से जांच की। घर का एक-एक सामान देखा। बरामदे में आईजी को एक मोबाइल फोन चार्जिंग पर लगा मिला। उसे पुलिस ने कब्जे में लिया। बच्चों की चप्पलें इधर-उधर पड़ी हुईं थीं। कमरे में अंधेरा होने के चलते आईजी ने टार्च मंगवाई। राजवीर ने जिस कमरे में फांसी लगाई, उसकी बारीकी से जांच की।
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हादसे के बाद शराब पीने लगा था राजीव
ट्रैक्टर-ट्रॉली से बाइक टकराने के बाद राजीव की मानसिक स्थिति खराब हो गई थी। वह शराब भी पीने लगा था।
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पत्नी से कहता था तुम्हें मारेंगे तो जेल जाना होगा
पोस्टमॉर्टम हाउस पर कौशल्या ने बताया कि आए दिन विवाद होता था। वह कहती थी कि उसका गला दबा दे पर राजीव ऐसा नहीं करता था। वह कहता था कि तुम्हें मारेंगे तो तुम्हारे घर वाले जेल भिजवा देंगे। बच्चों को मारेंगे।
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मंत्री ने हरसंभव मदद का दिया आश्वासन
पोस्टमॉर्टम हाउस पर आए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने मृतक के परिजनों से घटना की जानकारी भी ली, साथ ही हर संभव मदद का आश्वासन दिया। सुरेश खन्ना ने अधिकारियों से पूछा कि क्या पीड़ित परिवार का बैंक में खाता है? इस पर डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला था, इसलिए खाता होना चाहिए। मंत्री ने कौशल्या को देखकर कहा कि इनके पैर में चप्पल भी नहीं हैं, इनको सरकार की ओर से लाभ दिलाना चाहिए। मंत्री ने कौशल्या को आश्वस्त किया कि वह उनकी हरसंभव मदद करेंगे।
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