
दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक पर चीनी दबदबे को मिटाने के लिए केंद्र सरकार इस दिशा में आत्मनिर्भर बनने की योजना बना रही है। दरअसल, चीन ने 4 अप्रैल को दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक के निर्यात पर रोक लगा दिया है। चीन के इस फैसले से दुनियाभर की ऑटो इंडस्ट्री में हाहाकार मच गया है। जापान में सुजुकी ने स्विफ्ट कार का प्रॉडक्शन रोक दिया है तो भारत में भी कंपनियों के सामने मैन्युफैक्चरिंग रोकने की नौबत आ रही है।
ऐसे में केंद्र सरकार रेयर अर्थ मैग्नेट के लिए चीन पर निर्भरता कम करने के लिए देश में इसका उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना चाह रही है। सरकार संबंधित कंपनियों को काम बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन (इंसेटिव) देने की रूपरेखा भी तैयार कर रही है। रेयर अर्थ मैग्नेट की सबसे ज्यादा जरूरत इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में होता है।
भारत इन मोर्चों पर बहुत मजबूती से कदम बढ़ा रहा है। ऐसे में चीन की तरफ से खड़ी की गई बाधा नई चिंता का विषय बन गई है जिसे दूर करने के तरीके ढूंढे जा रहे हैं। दुनिया में 90 फीसदी दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक का उत्पादन चीन करता है।
भारत में दुर्लभ तत्वों का तीसरा बड़ा खजाना
दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के खजाने के लिहाज से 69 लाख टन के साथ भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। लेकिन इसके उत्पादन में भारत की स्थिति बहुत दयनीय है। अभी सिर्फ एक सरकारी कंपनी इंडियन रेयर अर्थ्स लि. (आईआरईएल) ही दुर्लभ तत्वों का खनन करती है। उसका उत्पादन भी परमाणु ऊर्जा और रक्षा इकाइयों की जरूरतें पूरा करने तक सीमित है।
निजी कंपनियों को प्रोत्साहन देने की योजना
केंद्र ने तय किया है कि निजी कंपनियों को भी उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाए। सूत्रों के हवाले से बताया कि सरकार निजी कंपनियों को दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के खनन और उसकी प्रोसेसिंग के काम में लगाने के लिए हर तरह से मदद करने को तैयार है। इसके लिए जरूरी मशीनों की विदेशों से आयात को ड्यूटी फ्री करने और प्रॉडक्शन पर इंसेंटिव देने की प्लानिंग है।