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शायर मुनव्वर राना:- दिल का दौरा पड़ने से शायर मुनव्वर राना का निधन,आज रायबरेली में होगा अंतिम संस्कार

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शायर मुनव्वर राना:- दिल का दौरा पड़ने से शायर मुनव्वर राना का निधन,आज रायबरेली में होगा अंतिम संस्कार

मशहूर शायर मुनव्वर राना का निधन हो गया है। रविवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। राना पिछले कई दिनों से लखनऊ के पीजीआई में भर्ती थे। मौत की खबर से रायबरेली में शोक की लहर है।

जिस तरह बच्चों को जलती फुलझड़ी अच्छी लगी
रो रहे थे सब तो मैं भी फूट कर रोने लगा
मुझको अपनी मां की, मैली ओढ़नी अच्छी लगी।

ये वो पंक्तियां हैं, जिनके वायरल होते ही मुनव्वर देश-दुनिया में छा गए और लोगों को मिला एक एसा शायर, जिसकी हर लाइन मां से शुरू होती और मां पर ही खत्म होती थी। ये भी अजब इत्तेफाक है कि ये जनवरी आई, दुनिया से एक अजीम शख्सियत के चले जाने का दुख दे दिया, पर मुनव्वर की उस ख्वाहिश को पूरा कर दिया, जो उन्होंने अपनी मां की मौत पर कहीं थीं कि

मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं
मां से इस तरह से लिपट जाऊं की बच्चा हो जाऊं।

मुनव्वर राना का निधन रविवार रात 11.30 बजे के करीब पीजीआई में हुआ। जैसे ही ये खबर अस्पताल से बाहर आई, रात सोने के लिए बिस्तरों पर पहुंच चुके उनके चाहने वालों की नींदें उड़ गईं। इन्हीं में से एक हैं उनके हम प्याला-हम निवाला रहे वरिष्ठ पत्रकार और वरिष्ठ शायर हसन काजमी। फोन उठाते ही कहा, बहुत अच्छा किया। ढेरों यादें हैं, सुना कर कम से कम कुछ तो दिल का बोझ हलका होगा।

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हसन काजमी कहते हैं कि उस वक्त तो वे एक ट्रांसपोर्ट का बिजनेस करने वाले थे। रायबरेली के थे, पर रहते कलकत्ता में थे। वहीं पढ़े-लिखे और ट्रांसपोर्ट का बिजनेस शुरू किया। फिर रुख किया लखनऊ का, जहां उन्हें शागीर्दी मिली उस्ताद वाली आसी की। यहीं उनसे मिला मैं और कब दोस्त बन गए पता नहीं चला। गुलमर्ग होटल अमीनाबाद में इन्होंने एक कमरा लिया और शुरू हो गया महफिलों का दौर। इस बीच अखबार निकालने की एक नाकाम कोशिश शुरू हुई।

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