प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को देश के किसानों को बड़ी सौगात दी। प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिए करीब 35,440 करोड़ रुपये की दो अहम योजनाओं की शुरुआत की। इसमें करीब 24 हजार करोड़ रुपये की ‘धन धान्य कृषि योजना’ की भी शुरुआत की गई। पीएम मोदी ने नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में विशेष कृषि योजना में शिरकत की। कार्यक्रम में पीएम मोदी ने लोकनायक जयप्रकाश की जयंती के अवसर पर जेपी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
पीएम मोदी ने मतस्य पालन योजना के लिए भी करीब 693 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। फूड प्रोसेसिंग उद्योग को बढ़ावा देने के लिए करीब 800 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। सरकार किसानों के बीच प्राकृतिक खेती को लोकप्रिय करने के लिए भी योजना चला रही है। विशेष कृषि कार्यक्रम में हिस्सा लेने से पहले पीएम मोदी ने विभिन्न किसानों से मुलाकात की और उनसे कृषि क्षेत्र की चुनौतियों और इस क्षेत्र में हो रहे सकारात्मक बदलावों पर चर्चा की।
‘पिछली सरकारों ने किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया’
कृषि योजनाओं के लॉन्च के बाद अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, ‘आज 11 अक्टूबर का दिन बहुत ऐतिहासिक है। आज भारत माता के दो महान रत्नों की जयंती है जिन्होंने इतिहास रचा। भारत रत्न जयप्रकाश नारायण और भारत रत्न नानाजी देशमुख, ये दोनों महान सपूत ग्रामीण भारत की आवाज थे, लोकतांत्रिक क्रांति के अग्रदूत थे। वे किसानों और गरीबों के कल्याण के लिए समर्पित थे। आज इस ऐतिहासिक दिन पर देश की आत्मनिर्भरता और किसानों के कल्याण के लिए दो महत्वपूर्ण नई योजनाओं का शुभारंभ किया जा रहा है।’
उन्होंने कहा ‘खेती और किसानी हमेशा से हमारी विकास यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। यह जरूरी है कि सरकार बदलते समय के साथ कृषि और खेती को समर्थन देती रहे। दुर्भाग्य से, पिछली सरकारों ने कृषि को अपने हाल पर छोड़ दिया। सरकार के पास कृषि के लिए कोई दूरदर्शिता या दृष्टिकोण का अभाव था, जिसके कारण भारत की कृषि प्रणाली लगातार कमज़ोर होती गई। हमने कृषि के प्रति पिछली सरकारों के लापरवाह रवैये को बदल दिया है।’
पीएम मोदी ने कहा कि ‘आज दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का भी शुभारंभ हुई है। यह केवल दलहन उत्पादन बढ़ाने का मिशन नहीं है, बल्कि हमारी भावी पीढ़ियों को सशक्त बनाने का भी मिशन है। हाल के वर्षों में, भारतीय किसानों ने रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन हासिल किया है। आज देश बड़ी मात्रा में दालों का आयात करता है, इसलिए दलहन आत्मनिर्भरता मिशन आवश्यक है।’









