ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत के मिसाइल और ड्रोन हमले में पाकिस्तान के आतंक के अड्डों को भारी नुकसान पहुंचा है। भारत की ओर से सटीकता के साथ की गई कार्रवाई में किसी आम नागरिक को तो नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन लोग दहशत में हैं। लोगों ने हमले का आंखों देखा हाल बयां किया। बताया कि अचानक हमला शुरू हुआ और कुछ जगहों पर एक के बाद एक कई मिसाइलें गिरीं।
भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कस्मीर के मुजफ्फराबाद में एक मदरसे को निशाना बनाया, जहां आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जाता था। यह मदरसा एक मस्जिद में था। स्थानीय निवासी अहमद अब्बासी ने बताया कि अचानक हमला शुरू हो गया। यहां 10 से 15 मिसाइलें गिरीं। नीलम रोड पर स्थित शावई नाला कैंप पर भी मिसाइलें बरसाईं। इसे बैत-उल-मुजाहिदीन के नाम से भी जाना जाता है। यह लश्कर-ए-ताइबा का प्रमुख शिविर था। 2008 में 26 नवंबर को मुंबई में हमला करने वाले अजबल कसाब समेत अन्य आतंकियों को इसी शिविर में प्रशिक्षण मिला था।
बहावलपुर के अहमदपुर पूर्व स्थित सुभान मस्जिक को भी हमले में ध्वस्त कर दिया गया। यह जैश-ए-मोहम्मद और उसके संस्थापक सरगना मौलाना मसूद अजहर का प्रमुख ठिकाना था। यहां पर चार मिसाइलें दागी गईं। जैश ने पुलवामा समेत भारत में कई आतंकी हमले कराए हैं। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुरीदके के लोगों ने बताया कि ड्रोन से किए गए हमले में एक मस्जिक का प्रशासन कार्यालय पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। एक नागरिक ने बताया कि रात के 12:45 बजे थे और हम सो रहे थे। पहले एक ड्रोन आया, फिर तीन और आए। ड्रोन हमले ने प्रशासनिक कार्यालय और मस्जिद की छत को नष्ट कर दिया। एक अधिकारी छत पर बैठा था, वह मारा गया।
दहशत में लोग घरों से बाहर भागे
एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि हमले के बाद लोगों में डर फैल गया, लोग खेतों में, खुली जगहों पर निकल आए, इस तरह रात डर में गुजरी। मुरीदके के नांगल साहदान में लश्कर-ए-ताइबा का मदरसा मरकज तैयबा है, जो आतंकियों को प्रशिक्षण देने का सबसे अहम केंद्र है। इस परिसर में हथियार और शारीरिक प्रशिक्षण की सुविधा है, साथ ही पाकिस्तान और विदेश दोनों जगहों से आतंकवादी संगठनों के लिए कट्टरपंथ का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। मुंबई हमले के प्रमुख साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर हुसैन राणा भी यहां आए थे।