Deaf Mute: अब दिल्ली में पैदा हुए बच्चे नहीं रहेंगे मूक-बधिर,31 अस्पतालों में शुरू हुई जांच |
दिल्ली में पैदा होने वाले बच्चे अब मूक-बधिर नहीं रहेंगे। सामान्य बच्चों की तरह बोलना और सुनना संभव होगा। इससे वह किलकारियां भी भरेंगे और हाव-भाव से संवेदनाएं भी जाहिर होती रहेंगी। स्वास्थ्य विभाग ने इस तरह के दिव्यांग बच्चों की पहचान करने का फैसला लिया है। शुक्रवार से दिल्ली के सभी 31 सरकारी अस्पतालों में एक माह तक के सभी नवजात की जांच शुरू हो चुकी है।
सरकारी अस्पताल में पैदा हुए इन नवजात की जांच में देखा जाएगा कि बच्चों के कानों तक आने वाली तरंग उनके मस्तिष्क तक जाती है या नहीं। यदि बच्चों में यह तरंग का कोई प्रभाव नहीं होता तो उक्त नवजात में ऑपरेशन से इंप्लांट बच्चे के कान में प्रत्यारोपित किए जाएंगे जिसकी मदद से बच्चा 100 प्रतिशत तक सुन सकेगा। साथ ही, बोलने की क्षमता भी विकसित हो जाएगी।
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में कान, नाक और गला विभाग के प्रोफेसर निदेशक डॉ. रवि मेहर के मुताबिक, एक हजार नवजात में से तीन से पांच बच्चों में सुनने की क्षमता नहीं होती। इन बच्चों को ठीक किया जा सकता है। लोकनायक अस्पताल में बीते एक साल में ऐसे नौ नवजात में इंप्लांट किया गया है जो अब सुनने लगे हैं। अब पूरी दिल्ली में अभियान चलाकर ऐसे बच्चों का उपचार किया जाएगा। डॉक्टरों कि कोशिश है कि दिल्ली में आने वाले दिनों में कोई नवजात मूक-बधिर न रहें।