नोबेल शांति पुरस्कार- ट्रंप नामांकन के बावजूद नोबेल शांति पुरस्कार पाने में नाकाम रहे, प्रयास पर कैसे फिरा पानी?

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मेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला। हालांकि, उन्होंने खुद भी इसके लिए भरपूर प्रयास किए। ट्रंप के समर्थकों ने भी उन्हें नोबेल दिए जाने के प्रयासों में एड़ी-चोटी का जोड़ लगाया, लेकिन हाईप्रोफाइल प्रत्याशी ट्रंप के बदले वेनेजुएला की महिला कार्यकर्ता मचाडो को नोबेल के लिए चुना गया। मचाडो को वेनेज़ुएला के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए अथक संघर्ष करने के लिए सम्मानित किया गया। उन्होंने तानाशाही को जड़ से उखाड़ फेंकने और शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक बदलावों के लिए भी उल्लेखनीय प्रयास किए।

ट्रंप औपचारिक रूप से नोबेल के पात्र नहीं बन सके
गौरतलब है कि नोबेल शांति पुरस्कार के एलान से अधिक चर्चा इस बात पर हो रही है कि ट्रंप को यह सम्मान नहीं मिला। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति लंबे समय से प्रतिष्ठित पुरस्कार की इच्छा पर बयान देते आए हैं। ट्रंप अक्सर दावा करते हैं कि उन्होंने दुनिया भर में कई संघर्ष खत्म कर शांति स्थापित करने में योगदान दिया है। उन्होंने कहा, ‘मैंने यह काम पुरस्कार के लिए नहीं किए, बल्कि उनका मकसद लोगों की जान बचाना था। हालांकि, नोबेल के लिए नॉमिनेशन की प्रक्रिया से जुड़ा एक तथ्य ये भी है कि उनके समर्थन में अधिकांश नामांकन 2025 पुरस्कार की अंतिम तिथि (1 फरवरी) के बाद आए। इस कारण ट्रंप औपचारिक रूप से पात्र नहीं बन सके।
रिपब्लिकन सांसद क्लाउडिया टेनी ने सिफारिश की थी
ट्रंप को नोबेल देने की सिफारिश करने वाले लोगों में अमेरिका की रिपब्लिकन सांसद क्लाउडिया टेनी का नाम भी शामिल है। टेनी के मुताबिक नवंबर, 2024 में चुनाव जीतने के बाद ट्रंप ने दिसंबर में ‘अब्राहम समझौते’ (Abraham Accords) के तहत 2020 में इस्राइल और कई अरब देशों के बीच संबंध सामान्य बनाने में योगदान दिया। इसके बावजूद, नोबेल समिति ने ट्रंप को नजरअंदाज किया। नोबेल समिति के फैसले को ट्रंप के समर्थक जानबूझकर किया गया ‘अपमान’ मान रहे हैं। गाजा में युद्धविराम का पहला चरण लागू होने के कुछ ही घंटे बाद नोबेल शांति सम्मान का एलान हुआ। इसे लेकर ट्रंप के समर्थकों में निराशा है।

अब तक तीन अमेरिकी राष्ट्रपतियों को नोबेल
बता दें कि नोबेल शांति पुरस्कार की स्थापना 1901 में हुई थी। यह उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने राष्ट्रों के बीच भाईचारा बढ़ाने, सेना के इस्तेमाल में कमी लाने या शांति प्रयासों को प्रोत्साहित करने में विशेष योगदान दिया हो। अब तक तीन अमेरिकी राष्ट्रपति- थिओडोर रूजवेल्ट (1906), वुडरो विल्सन (1919) और बराक ओबामा (2009) को नोबेल शांति सम्मान दिया जा चुका है।

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सात युद्ध खत्म कराने का दावा, कई मामलों में योगदान विवादित…
नोबेल से वंचित रहे ट्रंप ने डेमोक्रेट नेता ओबामा की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्हें कुछ किए बिना ही पुरस्कार दे दिया गया। ट्रंप का दावा है कि उन्होंने सात युद्ध खत्म कराए हैं, हालांकि कई मामलों में उनका योगदान विवादित भी रहा है। तीन साल से अधिक समय से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध (फरवरी, 2022 से) पर ट्रंप ने कहा था कि वह इसे ‘एक दिन में खत्म कर सकते हैं।’ हालांकि, अभी तक दोनों देशों का टकराव नहीं थमा है। पुतिन के रवैये पर नाराजगी जताते हुए ट्रंप ने शांति के प्रयासों को बाधित करने के आरोप लगाए थे।

कई आंतरिक विवादों से भी घिरा है ट्रंप प्रशासन
नोबेल को लेकर हो रही बयानबाजी और व्हाइटहाउस की तरफ से इस विवाद पर जारी बयान से इतर ट्रंप प्रशासन अमेरिका में कई आंतरिक विवादों से भी घिरा हुआ है। बड़े पैमाने पर निर्वासन अभियान, राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ सरकारी और कानूनी संस्थानों का उपयोग और नेशनल गार्ड्स की तैनाती जैसे मुद्दों पर उन्हें आलोचना झेलनी पड़ रही है। ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को बाहर निकालने का एलान करने के अलावा कई देशों के साथ व्यापार युद्ध भी ठान लिया। अपनी टैरिफ नीति के कारण भी ट्रंप आलोचकों के निशाने पर हैं।

इस्राइल, कंबोडिया और पाकिस्तान ने ट्रंप का समर्थन किया
हालांकि यह भी दिलचस्प है कि इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेत और पाकिस्तान सरकार ट्रंप को नोबेल दिए जाने का समर्थन कर चुके हैं। हालांकि, ये प्रस्ताव देर से आए और इसी कारण इस वर्ष की नोबेल नॉमिनेशन सूची पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

वेनेजुएला की ‘आयरन लेडी’ मचाडो को मिला 2025 का नोबेल
बता दें कि इस साल वेनेजुएला की महिला मरिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति सम्मान मिला है। वे फिलहाल अपने ही देश में छिपकर रह रही हैं। आयरन लेडी के नाम से भी मशहूर मचाडो का नाम टाइम पत्रिका की ‘2025 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों’ की सूची में शामिल है। इस पुरस्कार की घोषणा करते हुए नोबेल समिति की अध्यक्ष ने मचाडो की शांति की एक साहसी और प्रतिबद्ध समर्थक के रूप में सराहना की, जो बढ़ते अंधकार के बीच लोकतंत्र की लौ जलाए रखती हैं। पुरस्कार की घोषणा के दौरान नोबेल समिति ने कहा कि वह वेनेजुएला के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने में मचाडो ने अथक प्रयास किए। तानाशाही वाली व्यवस्था को बदलकर लोकतंत्र में न्यायसंगत और शांतिपूर्ण बदलाव लाने में संघर्ष के लिए उन्हें सम्मानित किया गया है। मचाडो का संगठन- सुमाते लोकतंत्र की बेहतरी के लिए काम करता है। मुक्त और निष्पक्ष चुनावों की पैरोकार रहीं मारिया कोरिना मचाडो ने साल 2024 के चुनाव में विपक्ष की तरफ से ताल ठोकी थी। राष्ट्रपति पद उम्मीदवार रहीं मचाडो की उम्मीदवारी वेनेजुएला की सरकार ने रद्द कर दी थी।

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