आदिशक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि आज से प्रारंभ हो गया है। सनातन धर्म में नवरात्रि विशेष धार्मिक महत्व रखने वाला पर्व है, जिसे शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन ‘कलश स्थापना’ का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह पूरे नौ दिनों की पूजा का प्रारंभिक और महत्वपूर्ण संस्कार है। इस दिन कलश स्थापित कर देवी दुर्गा का आह्वान किया जाता है, जिससे शुभता, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के पहले दिन की पूजा का महत्व
नवरात्रि का पहला दिन कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की आराधना का महत्व होता है। नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन करते हैं, उन्हें जीवन में स्थिरता और शांति मिलती है। शैलपुत्री मां की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और मनुष्य की भक्ति शक्ति में वृद्धि होती है।
नवरात्रि में क्यों बौया जाता है जौ
कलश स्थापना के साथ जौ बोने की परंपरा भी होती है। जौ को प्रतीकात्मक रूप से सुख, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है। इसे मिट्टी के पात्र में बोया जाता है और इसके बढ़ने को शुभ संकेत माना जाता है।
कलश स्थापना का महत्व
कलश स्थापना को शुभता और मंगल का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार कलश में जल को ब्रह्मांड की सभी सकारात्मक ऊर्जाओं का स्रोत माना गया है। इसे देवी दुर्गा की शक्ति और सृजन की प्रतीकात्मक उपस्थिति माना जाता है। कलश स्थापना के साथ ही देवी के नौ रूपों का आवाहन किया जाता है और यह नौ दिन तक चली पूजा का मुख्य केंद्र होता है। यह विधि नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने और घर में सुख, शांति और समृद्धि बनाए रखने का साधन माना जाता है। कलश स्थापना के साथ देवी दुर्गा की पूजा आरंभ होती है और यह पूजा साधक के मन और घर को पवित्र करने का माध्यम होती है।
नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 2 मिनट से लेकर 7 बजकर 7 मिनट तक
नवरात्रि अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक
कलश स्थापना पूजा सामग्री
- 7 तरह के अनाज
- मिट्टी का बर्तन
- मिट्टी
- कलश
- गंगाजल या सादा जल
- आम,अशोक या पान के पत्ते
- सुपारी
- सूत
- मौली
- एक जटा वाला नारियल
- माता की चुनरी
- अक्षत
- केसर
- कुमकुम
- लाल रंग का साफ कपड़ा
- फूल- माला