
हिमाचल हाईकोर्ट ने नियमित की तरह अनुबंध कर्मियों को भी पितृत्व अवकाश देने का महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि पितृत्व अवकाश एक मौलिक अधिकार है। इसके लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने तकनीकी शिक्षा व्यावसायिक एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के उन सभी आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें उन्हें पितृत्व अवकाश देने से मना किया था। कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि संबंधित नियमों में अनुबंध के आधार पर कार्यरत पुरुष कर्मचारियों को पितृत्व अवकाश का प्रावधान शामिल करें।
अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को इस आदेश की सूचना संबंधित विभाग तक पहुंचाने और दो महीने के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। अदालत ने निर्देश दिए हैं कि 31 जुलाई 2024 से 14 अगस्त 2024 तक याचिकाकर्ता की ओर से लिए अवकाश को पितृत्व अवकाश माना जाए। कोर्ट ने फैसले में कहा कि जब बच्चे का जन्म हुआ तब याचिकाकर्ता अनुबंध पर था, लेकिन जब उसने पितृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया, तब तक वह नियमित भी हो चुका था। इसके अलावा नियम 43-ए पितृत्व अवकाश के संबंध में प्रावधान करता है कि दो से कम बच्चों वाले पुरुष सरकारी कर्मचारी को बच्चे के जन्म से 15 दिन पहले या छह महीने के भीतर 15 दिनों का पितृत्व अवकाश दिया जा सकता है।