मूत्राशय से निकाले आधे किलो के पत्थर- इलाज कराने गए राहुल के मूत्राशय में निकलीं 16 पथरियां,फिर ऐसे किया इलाज।

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इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आईएसइसी) के डॉक्टरों ने लकवाग्रस्त व्यक्ति के मूत्राशय से 500 ग्राम वजन के 16 पत्थरों को निकाला है। मरीज आईएसआईसी में पुनर्वास के लिए आया था। इस दौरान जांच में मरीज में मूत्र संबंधी समस्याओं का पता चला। डॉक्टरों का कहना है कि मरीज अब पूरी तरह से ठीक है। 
मूल रूप से मध्य प्रदेश के मुरैना का रहने वाले दीपक दो साल पहले घर में ऊंचाई से गिरने से रीढ़ की हड्डी में चोट के शिकार हो गए थे। उनका आईएसआईसी में इलाज चल रहा था, जहां पर उन्हें इलाज और पुनर्वास के उद्देश्य से डॉ. एच.एस. छाबड़ा को रेफर किया गया था। आईएसआईसी के डॉ. प्रशांत जैन ने कहा कि लकवाग्रस्त सभी मरीजों में लोअर यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होते हैं, इससे मूत्राशय और आंत्र प्रभावित होती है। पीड़ित का मूत्राशय भी ठीक से काम नहीं कर रहा था  इसलिए उनमें कैथेटर लगाना पड़ा। इसे सेकेंडरी न्यूरोजेनिक ब्लैडर कहा जाता है। जब मरीज की जांच की तो उनके मूत्राशय में कई पत्थर थे, जो धीरे-धीरे बढ़ रहे थे। एक्स-रे के बाद हमने अन्य जांचों के साथ एक सीटी स्कैन भी करवाया। सीटी स्कैन में मूत्राशय में कम से कम 16 पत्थरों के होने का पता चला।
डॉ. जैन ने कहा कि सौभाग्य से मरीज के किडनी में कोई पथरी नहीं थी। उनकी किडनी अच्छे से काम कर रही थी। डॉक्टर ने बताया कि मूत्राशय से पथरी निकालने के दो तरीके होते हैं। मूत्राशय की क्षमता कमजोर थी। साथ ही इस केस में मूत्राशय में संक्रमण और पथरी भी हो गई। इसलिए हमने मरीज की काउंसलिंग की और फिर ओपन सिस्टोलिथोटॉमी प्रक्रिया द्वारा पथरी को एक बार में हटाने का फैसला किया। 
ऑपरेशन सामान्य एनेस्थेसिया के द्वारा ऑपरेशन थिएटर में किया गया था। सर्जरी के बाद मरीज ने बहुत अच्छे से प्रतिक्रिया दी। हमने मूत्राशय में एक छोटे से छेद के माध्यम से पत्थरों को निकाला। यह छेद सुप्राप्यूबिक एरिया में बनाया गया था। सभी पत्थरों को एक बार में हटा दिया गया और फिर मूत्राशय और घाव का इलाज कर दिया है। मरीज अब पूरी तरह से ठीक है।

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