हल्द्वानी: आखिर क्यों आईएसबीटी को गौलापार से तीनपानी में शिफ्ट करने की जरूरत पड़ रही है,हाईकोर्ट ने 11 मार्च तक जवाब देने के निर्देश दिए
हल्द्वानी के गौलापार में प्रस्तावित इंटरस्टेट बस टर्मिनल (आईएसबीटी) को तीनपानी में शिफ्ट किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को वास्तविक दस्तावेजों के साथ 11 मार्च से पहले जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार से यह भी बताने के लिए कहा है कि आखिर इसे शिफ्ट करने की जरूरत क्यों पड़ रही है।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार आईएसबीटी के नाम पर राजनीति कर बार-बार आईएसबीटी की जगह बदल रही है। सरकार की ओर से 2008 में गौलापार में वन विभाग की आठ एकड़ भूमि पर आईएसबीटी बनाने के लिए संस्तुति की जा चुकी थी। केंद्र सरकार से भी इसकी अनुमति मिल चुकी है। राज्य सरकार वहां 11 करोड़ रुपये खर्च भी कर चुकी है। आईएसबीटी निर्माण के लिए वहां पर 2625 पेड़ काटे जा चुके हैं। याचिका में कहा गया कि गौलापार के अलावा आईएसबीटी बनाने के लिए हल्द्वानी में कहीं भी इससे अधिक जमीन नहीं है। इतने पेड़ काटे जाने व सरकारी धन का दुरुपयोग करने के बाद भी सरकार आईएसबीटी को हल्द्वानी के तीनपानी में बनाना चाहती है, जबकि गौलापार आईएसबीटी बनाने के लिए उपयुक्त जगह है। यहां पर अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम भी बन चुका है। यहां आईएसबीटी बनने से हल्द्वानी शहर जाममुक्त रहेगा। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि इसलिए आईएसबीटी को गौलापार से शिफ्ट न किया जाए।