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चंडीगढ़ पुलिस के पूर्व डीजीपी सुरेंद्र सिंह यादव को रातोंरात चंडीगढ़ से बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स में ट्रांसफर कर दिल्ली भेजने के जारी आदेशों के बाद अब एक और झटका लगा है। उन्होंने बीएसएफ में डीआईजी के पद पर नियुक्त करने के ट्रांसफर आदेशों के खिलाफ कोर्ट में आवेदन दायर किया था लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया है।
गृह मंत्रालय के खिलाफ कोर्ट में जाने वाले आईपीएस सुरेंद्र सिंह यादव को पहले ओरिएंटेशन के लिए राजस्थान भेजा गया और अब उन्हें बतौर डीआईजी नक्सल विरोधी अभियान बीएसएफ मुख्यालय छत्तीसगढ़ में भेजा गया है।
मार्च 2024 में हुई थी चंडीगढ़ में नियुक्ति
दरअसल एजीएमयूटी कैडर के 1997 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी सुरेंद्र सिंह यादव दिल्ली में आर्थिक अपराध शाखा में कार्यरत थे और मार्च, 2024 में इन्हें केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ में डीजीपी के पद पर नियुक्त किया गया था। बतौर डीजीपी वह सबसे पहले उस समय चर्चा में आए जब इन्होंने लंबे समय से एक ही जगह जमे करीब 2763 जवानों का तबादला करवाया। इससे पहले इतनी अधिक संख्या में कभी जवानों के तबादले नहीं हुए थे। इसके बाद इन्होंने थानों में पुलिस जवानों सहित पब्लिक मीटिंगों में हिस्सा लेकर जनता की शिकायतें सुनी।
इन्होंने नशा तस्करी भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में संलिप्त जवानों को रिटायर करवाया। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ थे लेकिन उनके समय में यूटी पुलिस के कई जवान रिश्वत के मामलों में फंसे। इसके अलावा थानों में सेटिंग करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ भी केस तक दर्ज करवाए। डीजीपी यादव के रहते यूटी पुलिस के जवान भी मानसिक रूप से काफी परेशान हुए। बाकायदा इनके समय में सबसे अधिक जवानों ने तो पुलिस विभाग छोड़ने का फैसला किया और वीआरएस तक लेने के लिए आवेदन किया।