आबकारी नीति मामला: पूर्व सीएम केजरीवाल ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा, की ये मांग, ईडी और सीबीआई को नोटिस जारी

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बकारी नीति मामल में आरोपी दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक ने अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए एनओसी की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया है।

राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी और सीबीआई को जवाब के लिए नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 4 जून को तय की है। केजरीवाल के वकील ने कहा कि उनका निजी पासपोर्ट 2018 में समाप्त हो गया था।

हाईकोर्ट में केजरीवाल और सिसोदिया की याचिका पर 12 अगस्त को सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 मई को आप नेता अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई 12 अगस्त को सूचीबद्ध की। ये याचिकाएं कथित आबकारी नीति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोपपत्र पर ट्रायल कोर्ट के संज्ञान लेने के फैसले के खिलाफ दायर की गई थीं। इसके अलावा ईडी की तरफ से केजरीवाल को मिली जमानत पर भी दिए गए आवेदन पर सुनवाई हुई थी। ईडी की तरफ से एएसजी एसवी राजू ने कहा, ईडी अभी जमानत के खिलाफ नहीं है लेकिन ट्रायल कोर्ट के आदेश में कई गलतियां हैं जिन्हें सुधारा जाना चाहिए। वहीं, केजरीवाल की तरफ से पेश वकील विक्रम चौधरी ने जमानत का बचाव करते हुए कहा, इस मामले में सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है।

ईडी की ओर से पेश वकील ने केजरीवाल की याचिका का भी विरोध करते हुए कहा, 2024 में दायर ये याचिकाएं अब बिना अर्थ की हो गई हैं, क्योंकि एजेंसी को आवश्यक मंजूरी मिल चुकी है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने न्यायमूर्ति रविंद्र डुडेजा के समक्ष कहा, हमें मंजूरी मिल गई है। मंजूरी कोर्ट में दाखिल की गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जनवरी 2025 में केजरीवाल और अन्य आरोपियों के खिलाफ आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी को मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी।

केजरीवाल की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया है कि विशेष अदालत ने 9 जुलाई 2024 को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दायर आरोपपत्र का संज्ञान लिया, जबकि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की कोई मंजूरी नहीं थी। यह मंजूरी आवश्यक थी, क्योंकि कथित अपराध के समय वह सार्वजनिक सेवक थे। सिसोदिया ने भी इसी तरह की आपत्तियां उठाई हैं। उनकी याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ आरोप उनके द्वारा सार्वजनिक सेवक के रूप में किए गए आधिकारिक कार्यों से संबंधित हैं, इसलिए मुकदमा चलाने के लिए पूर्व मंजूरी जरूरी थी। केजरीवाल ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने के साथ-साथ मामले में सभी कार्यवाहियों को रद्द करने की मांग की है।

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