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Encounter: दिनभर धमाकों से गूंजते रहे जंगल, हर 50 मीटर पर हो रही थी गोलीबारी, रॉकेट दाग कर आगे बढ़ रहे सुरक्षाबल

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पाकिस्तान से घुसपैठ कर आए आतंकी अलग अलग टोलियों में बंट गए हैं। इस फिराक में हैं कि किसी भी तरीके से धार सड़क को पार कर लोहाई मल्हार के पहाड़ों तक पूर्व में छिपे बैठे आतंकियों तक पहुंचा जाए।

उधर, सुरक्षाबलों नें उन्हें हर हाल में ढूंढकर खात्मा करने के लिए अभियान छेड़ रखा है। सनियाल से शुरू हुआ आतंकियों की तलाश में सुरक्षाबलों का ऑपरेशन छठे दिन भी जारी रहा। दिन भर सुफैन से कठेरा के बीच जंगल धमाकों और गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजते रहे।
सुफैन के अंबे नाल में मुठभेड़ से फरार हुए तीन आतंकियों की तलाश में सुरक्षाबलों का तलाशी अभियान इस जंगल में लगातार तीसरे दिन जारी रहा। लाहड़ी से लेकर कठेरा तक सुरक्षाबलों ने बड़े पैमाने पर चप्पे-चप्पे की तलाशी शुरू की है। सुरक्षा की पहली पंक्ति में पैरा कमांडो को जिम्मेदारी सौंपी गई है। जंगल और छोटी पहाड़ियों में आतंकियों की हर छिपने की जगह को पूरी तरह से खंगाला जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, हर 50 से सौ मीटर के बीच गोलीबारी और रॉकेट लांचर दागगर सुरक्षा बल आगे बढ़ रहे हैं। आतंकियों के खात्मे के लिए स्पेशल फोर्स की ओर से कोई भी कमी नहीं रखी गई है। उधर, बिलावर गूड़ा कल्याल समेत बिलावर के अलग-अलग इलाकों में भी सुरक्षाबलों ने सघन तलाशी अभियान चलाए हैं। स्थानीय लोग भी जंगल के इलाकों में जाने से और अकारण घरों से निकलने से अब परहेज कर रहे हैं।

दरअसल, पाकिस्तानी आतंकियों को जिले के दूर दराज पहाड़ी इलाकों में छिपने और अन्य तरह की मदद मिल रही है। एक साल से लोहाई मल्हार से लेकर धनु परोल और बग्गन से मढून के इलाकों में लगातार आतंकियों की मूवमेंट देखे जाने और लंबे समय तक उनके इलाके में सक्रिय रहने से स्थानीय मदद से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। कठुआ और बिलावर के निचले इलाकों में आतंकियों को ज्यादा मदद नहीं मिलती है और आम लोगों की नजर में भी जल्दी आ जाते हैं। ऐसे वो भी इस इलाके से जल्द से जल्द निकलकर पहाड़ों की ओर भागना चाहते हैं।

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