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भूकंप: बीते 2 साल में आए 400 बार भूकंप के झटके,ये भारत के 1 शहर का आंकड़ा हैं,यहां घरों के बाहर सोते हैं लोग।

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भूकंप: बीते 2 साल में आए 400 बार भूकंप के झटके,ये
भारत के 1 शहर का आंकड़ा हैं,यहां घरों के बाहर सोते हैं लोग।

सीरिया और तुर्किये में बीते दिनों आए भूकंप ने दुनिया के लोगों में दहशत पैदा कर दी है। भूकंप का हल्का सा भी झटका उन्हें गंभीर तरह से डरा रह है। इस बीच भारतीय वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि गुजरात का अमरेली जिला सबसे ज्यादा भूकंप प्रभावित क्षेत्र है। यहां बीते दो साल में 400 भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। सभी भूकंप के झटके हल्के रहे। गांधीनगर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ सीस्मोलॉजिकल रिसर्च (आईएसआर) के कार्यवाहक महानिदेशक सुमेर चोपड़ा ने बताया, आमतौर पर ये झटके अल्पकालिक होते हैं, लेकिन दिनों, हफ्तों या कभी-कभी महीनों तक जारी रह सकते हैं
और अक्सर एक ही स्थान पर दोहराए जाते हैं।

जब भूकंप बार-बार आता है, तो झटके हल्के ही होते हैं। उन्होंने बताया, 400 भूकंप में 86 प्रतिशत की तीव्रता दो प्रतिशत भी कम थी, जबकि 13 प्रतिशत की तीव्रता दो से तीन के बीच थी। केवल पांच भूकंप ऐसे रहे, जो तीन के ऊपर चले गए। उन्होंने बताया, कई भूकंप ऐसे रहे, जिन्हें लोगों ने महसूस भी नहीं किया। उन्होंने कहा, जब भूकंप श्रृंखला में आता है, तो बड़े भूकंप की संभावना कम ही होती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, गुजरात के अमरेली जिले सहित सौराष्ट्र क्षेत्र का अधिकांश क्षेत्र भूकंपीय क्षेत्र तीन में आता है, जिसे मध्यम क्षति जोखिम क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है। उन्होंने बताया, अमरेली में फॉल्ट लाइन 10 किलोमीटर की है, जबकि बड़े भूकंप के लिए फॉल्ट लाइन 60 से 70 किमी से अधिक होनी चाहिए। उन्होंने बताय, अमरेली में लगातार भूकंप आने का कारण टेक्टोनिक सेटअप और हाइड्रोलॉजिकल लोडिंग मौसमी भूकंपीय गतिविधियों के कारण हैं।
अमरेली का मितियाला गांव सबसे ज्यादा भूकंप प्रभावित क्षेत्र रहा है। यहां इन 400 में से कई भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। ऐसे में एहतियात के तौर पर लोगों ने अपने घरों के बाहर सोना शुरू कर दिया है, जिससे किसी भी बड़ी भूकंपीय गतिविधि के मामले में वे बच सकें। बता दें, 23 फरवरी को भी अमरेली के सावरकुंडला और खंबा तालुका में 3.1 से 3.4 की तीव्रता के चार झटके दर्ज किए गए थे।

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