आईएमए देहरादून 157वीं पासिंग आउट परेड। चेहरे पर मुस्कान, दिलों में जज्बा और देश पर मर मिटने को तैयार जांबाज। सरहद की निगहबानी के लिए युवा अफसरों ने सौगंध ली। किसी ने सैन्य विरासत तो किसी ने कठिन परिश्रम से पाया मुकाम पाया।
देहरादून आईएमए परेड के दौरान शनिवार को अनुशासन और गर्व का ऐतिहासिक पल देखने को मिला। थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने परेड की समीक्षा की और सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूर्ण करने वाले कैडेट्स को बधाई दी। उन्होंने नव-नियुक्त अधिकारियों से भारतीय सेना की परंपराओं का पालन करते हुए निष्ठा और समर्पण के साथ राष्ट्र सेवा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सेना में कमीशन मिलना जिम्मेदारी भरे जीवन की शुरुआत है।
कैडेट्स को संबोधित करते हुए थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि सैन्य सेवा केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि ऐसा दायित्व है जो सर्वोच्च त्याग की मांग करता है।
उन्होंने कहा कि अकादमी से पास आउट होने के बाद भले ही हर कदम पर कोई मार्गदर्शक साथ न हो, लेकिन तब आपके कंधों पर कहीं बड़ी जिम्मेदारी होगी। कहा कि एक अधिकारी के रूप में आपके आचरण, अनुशासन और निर्णय लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बनेंगे।

देश और समाज आपको एक रोल मॉडल के रूप में देखेगा, ऐसे में आपके हर कार्य में मूल्य, कर्तव्य और राष्ट्र के प्रति निष्ठा झलकनी चाहिए।



स्वॉर्ड ऑफ ऑनर और स्वर्ण पदक एसीए निश्कल द्विवेदी को दिया गया। रजत पदक बीयूओ बादल यादव और कांस्य पदक एसयूओ कमलजीत सिंह को मिला। टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स में प्रथम स्थान के लिए ऑफिसर कैडेट जाधव सुजीत संपत और टेक्निकल एंट्री स्कीम46 में प्रथम स्थान के लिए डब्ल्यूसीसी अभिनव मेहरोत्रा को रजत पदक प्रदान किया गया। स्पेशल कमीशन ऑफिसर कोर्स का रजत पदक ऑफिसर कैडेट सुनील कुमार छेत्री को मिला। विदेशी कैडेट्स में मेरिट में प्रथम स्थान का पदक बांग्लादेश के जेयूओ मोहम्मद सफ़ीन अशरफ को दिया गया। ऑटम टर्म 2025 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए इम्फाल कंपनी को थल सेना प्रमुख बैनर प्रदान किया गया। 157वें कोर्स के साथ भारतीय सैन्य अकादमी ने एक बार फिर भारतीय सेना को प्रशिक्षित और सक्षम नेतृत्व प्रदान करने की अपनी परंपरा को आगे बढ़ाया।









