कफ सिरप कांड:- तमिलनाडु औषधि प्राधिकरण ने की नियमों की अनदेखी, ऑडिट की जानकारी छिपाई, फिर रातोंरात फैक्ट्री सील

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देश में दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद तमिलनाडु के औषधि नियंत्रण विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जांच में कई अहम तथ्य आए सामने आए हैं जिसके मुताबिक तमिलनाडु की औषधि नियंत्रण प्रणाली की लापरवाही से मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत की हुई। राज्य औषधि प्राधिकरण ने नियमों की अनदेखी की और लाइसेंस निरस्त करने की केंद्रीय सिफारिश के बावजूद कार्रवाई नहीं की।

नई दिल्ली स्थित केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की जांच में पता चला है कि केंद्रीय दिशा निर्देशों की अवहेलना करते हुए जिस फार्मा कंपनी श्री सन को उत्पादन की अनुमति दी गई, उसकी गतिविधियों की विभाग ने ठीक से निगरानी नहीं की। तमिलनाडु के औषधि नियंत्रण विभाग के पास पर्याप्त कानूनी और तकनीकी प्रावधान मौजूद होने पर भी उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया। श्री सन फार्मा को 2011 में लाइसेंस दिया और बाद में उसका नवीनीकरण किया जबकि उसकी मौजूदा स्थिति देखकर यह समझना कठिन है कि यह इकाई इतने वर्षों तक कैसे संचालित होती रही?

रिपोर्ट के अनुसार, जिस स्थिति में यह फैक्ट्री पाई गई, उससे यह स्पष्ट होता है कि निरीक्षण और नवीनीकरण की प्रक्रिया में गंभीर खामियां रहीं। रिपोर्ट में कहा है कि यह एक नियामक विफलता का उदाहरण है, जहां राज्य नियामक की लापरवाही के कारण एक गैर-अनुपालन इकाई लगातार संचालित होती रही। इतना ही नहीं रिपोर्ट इस घटना को चेतावनी की घंटी बताते हुए सीडीएससीओ ने सभी राज्यों को सबक लेने और दवा निगरानी को और भी अधिक सख्त करने की सिफारिश की है।

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ऐसे जानिए: तमिलनाडु ने हर बार नहीं दिया कंपनी का नाम

  • दवाओं की बेहतर निगरानी के लिए केंद्र सरकार ने एक राष्ट्रीय डाटा तैयार करने का नियम लागू किया लेकिन कंपनी ने अपनी दवाओं को कभी इसमें पंजीकृत नहीं किया। यह राज्य नियामक की जिम्मेदारी है कि वह राज्य में इस नियम को लागू करे लेकिन तमिलनाडु ने एक तरह से गैर-अनुपालन का समर्थन नहीं किया।
  • अक्तूबर 2023 में केंद्र ने सभी राज्यों से एक गूगल फॉर्म साझा किया और उनसे जानकारियां देने के लिए कहा। इस बात को हर बार मासिक समीक्षा बैठक और राज्य एफडीए की बैठक में दोहराया गया। दुर्भाग्य से, इस अभियान के दौरान न तो श्री सन फार्मा ने पंजीकरण कराया और न ही राज्य ने उन्हें इसमें शामिल होने में मदद की।
  • यह कंपनी केंद्रीय डेटाबेस (सुगम पोर्टल) में पंजीकृत नहीं थी जबकि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की धारा 84 एबी के तहत सभी दवा कंपनियों के लिए यह अनिवार्य है। यहां भी कंपनी को पंजीकृत कराने की मुख्य जिम्मेदारी तमिलनाडु के औषधि नियंत्रण विभाग के पास थी।
  • सीडीएससीओ के किसी भी ऑडिट में श्री सन फार्मा कंपनी शामिल नहीं रही जबकि अपने क्षेत्र में सभी दवा कंपनियों को ऑडिट में लाने की जिम्मेदारी राज्य की है।

 

जब केंद्र की टीम पहुंची तमिलनाडु, नहीं आए अफसर
मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद भी तमिलनाडु ने कुछ नहीं कहा। मध्य प्रदेश एफडीए के अनुरोध पर तमिलनाडु ने एक और दो अक्तूबर 2025 को श्री सन फार्मा कंपनी का ऑडिट किया। यह जानकारी भी केंद्रीय एजेंसी से छिपाई गई। जब केंद्रीय एजेंसी को इसके बारे में पता चला तो तीन अक्तूबर को केंद्रीय टीम तमिलनाडु के कांचीपुरम में फैक्टरी का ऑडिट करने पहुंची लेकिन यहां भी कई अनुरोध करने के बाद भी स्थानीय औषधि नियंत्रक अफसर नहीं आए। फिर टीम ने खुद ही ऑडिट किया और लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश भेजी। उसी रात, तमिलनाडु की ओर से कफ सिरप में 48 फीसदी डीईजी मिलने पर फैक्टरी सील करने की सूचना मिलती है। इससे एक भ्रम की स्थिति पैदा हुई क्योंकि उससे पहले छिंदवाड़ा और नागपुर से लिए गए नमूनों की जांच में डीईजी नहीं मिला।

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राज्य ने नहीं की कोई कार्रवाई
सीडीएससीओ ने चार अक्तूबर को तमिलनाडु एफडीए को एक ईमेल भेजा, जिसमें लिखा कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कंपनी के लाइसेंस को रद्द किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करने पर विचार किया जाना चाहिए। इस संबंध में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस बीच, मध्य प्रदेश पुलिस ने आठ अक्तूबर को श्री सन फार्मा कंपनी के मालिक को गिरफ्तार किया है।


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