Chattisgarh- रायपुर पुलिस पर भ्रष्टाचार और साइबर अपराधों से निपटने में विफलता के आरोप
रायपुर –खाकी को कानून का रक्षक कहा जाता है, लेकिन अक्सर ऐसे मामले आते हैं, जिससे खाकी को दागदार होना पढ़ता है, हाल ही में रायपुर पुलिस विभाग पर कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें रिश्वतखोरी, दहेज उत्पीड़न की शिकायतों को दर्ज करने में अनियमितताएं, और साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों का सही तरीके से सामना न कर पाना शामिल है। यह स्थिति जनता के बीच पुलिस विभाग की छवि को धूमिल कर रही है और न्यायिक प्रक्रिया में बाधाएं उत्पन्न कर रही है।
रायपुर में कई ऐसी महिलाएं, जो दहेज उत्पीड़न का शिकार हुई हैं, ने पुलिस थानों में अपनी शिकायत दर्ज कराने के प्रयास किए। लेकिन कुछ मामलों में पुलिस अधिकारियों पर आरोप है कि वे शिकायत दर्ज करने के लिए पीड़ितों से रिश्वत की मांग कर रहे हैं, इतना ही नहीं अक्सर देखा गया है कि रेप जैसे मामलों में भी पुलिस कार्रवाई की जगह पर समझौते करने जैसी बातें करती है, ऐसी घटनाओं ने न केवल पीड़ितों को न्याय से वंचित किया है, बल्कि उनकी आर्थिक और मानसिक स्थिति को और बिगाड़ा है। हाल ही में रायपुर महिला थाने की इंस्पेक्टर वेदवती दरियो को एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों ने बीस हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़ा जोकि उन्होंने एक दहेज पीड़िता की शिकायत दर्ज करने और कार्यवाही करने के एवज में मांगी थी। ऐसी यह कोई पहली घटना नहीं है, ऐसी घटनाओं का आना आम बात है जिससे आम आदमी का खाकी का ईमानदारी से काम करने पर भरोसा सा उठता जा रहा है।
वहीं साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिनमें फ़िशिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी, हैकिंग, और साइबर ब्लैकमेल शामिल हैं। हालांकि, पुलिस विभाग के पास इस प्रकार के अपराधों से निपटने के लिए आवश्यक तकनीकी ज्ञान और संसाधनों की कमी है। विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर सुरक्षा के प्रति पुलिस विभाग की जागरूकता और प्रशिक्षण में सुधार की आवश्यकता है, ताकि ये मामले प्रभावी ढंग से हल किए जा सकें।
रायपुर पुलिस के सामने एक और बड़ी समस्या यह है कि वे अंग्रेजी में दर्ज की गई एफआईआर को सही तरीके से पढ़ और समझ नहीं पाते। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब कानूनी दस्तावेजों और तकनीकी विवरणों की बात आती है। कई मामलों में, यह देखा गया है कि अंग्रेजी भाषा की कमी के कारण जांच और न्यायिक प्रक्रिया में देरी होती है, जिससे पीड़ितों को समय पर न्याय नहीं मिल पाता।
इन समस्याओं के समाधान के लिए पुलिस विभाग को सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और पुलिसकर्मियों के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए, जिसमें साइबर अपराध और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान शामिल हो। इसके अलावा, एफआईआर को स्थानीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि सभी नागरिक आसानी से अपनी शिकायत दर्ज करा सकें, ताकि जनता का विश्वास बहाल हो सके और सभी नागरिकों को समय पर और निष्पक्ष न्याय मिल सके।