हल्द्वानी- जिपं अध्यक्ष समेत 7 के खिलाफ मुकदमा, ये है मामला, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष का बेटा भी नामजद

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भूमि की धोखाधड़ी करने के मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पुत्र समेत सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। करीब नौ साल पुराने मामले में जमीन विनियमितीकरण प्रक्रिया में अनियमितता और धोखाधड़ी करते हुए लाखों के राजस्व का चूना लगाने का आरोप लगाया गया है। आईजी कुमाऊं के निर्देश पर रिपोर्ट दर्ज की गई है। बसंतपुर किशनपुर निवासी शिकायतकर्ता रविशंकर जोशी की ओर से काठगोदाम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। इसमें कहा गया कि गौलापार के ग्राम देवला तल्ला पजाया में करीब 53 बीघा जमीन वर्ष 2016 में बलवंत सिंह के नाम श्रेणी एक ख से वर्ग-एक क में परिवर्तित की गई थी।

भूमि की विनियमितिकरण में राजनैतिक रूप से रसूखदार भूमाफियाओं, राजस्व अधिकारियों ने बलवंत के साथ मिलकर झूठे शपथ-पत्र प्रस्तुत किए और महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया। विनियमितीकरण के लिए नजराने की धनराशि जमा करने के बाबत बलवंत ने झूठा शपथ पत्र दिया जिसे राजस्व अधिकारियों ने स्वीकार कर लिया।

 

बाद में डीएम कार्यालय से पूर्व में जमा राशि के साक्ष्य उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए। नजराना राशि जमा करने के संबंधी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए। इतना ही नहीं बलवंत सिंह व उसके परिवार के सदस्यों के पास प्रश्नगत भूमि को मिलाकर सीलिंग-सीमा (12.5 एकड़) से अधिक नहीं होने की आख्या प्रस्तुत की गई।

बलवंत के पास गौलापार क्षेत्र के ही ग्राम जगतपुर में कई हेक्टेयर वर्ग एक क श्रेणी की कृषि भूमि दर्ज थी। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बलवंत ने भूमि के विनियमितीकरण से संक्रमणीय अधिकार प्राप्त कर लिए। 10 मार्च 2016 को 3.107 हेक्टेयर भूमि किसी बाहरी व्यक्ति कमलुवागांजा गौड़ निवासी रविकांत फुलारा को दान कर दी जबकि बलवंत के दो पुत्र जीवित थे। रविकांत ने इस भूमि के दाननामे के बैनामे में स्टांप शुल्क के रूप में 19 लाख जमा किए थे।

नौ मई 2016 को जमीन दीपा दरम्वाल (वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष), पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पुत्र हरेंद्र कुंजवाल, उद्योगपति की पत्नी मीनाक्षी अग्रवाल, अरविंद सिंह मेहरा, अजय कुमार गुप्ता, चेतन गुप्ता और अनीता गुप्ता को बेच दी। आरोप यह भी है कि इन लोगों ने राजस्व विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों के साथ मिलकर बेशकीमती वर्ग-चार, वर्ग एक ख की सरकारी भूमि को बलवंत सिंह मेहरा के नाम सीलिंग सीमा से अधिक दर्ज की थी।

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चार साल पहले उजागर किया था मामला
रविशंकर ने वर्ष 2021 में यह मामला उजागर किया था। यह मामला लैंड फ्रॉड कमेटी के समक्ष भी उठा। इसके बाद ही मुकदमा दर्ज किया गया। इस भूमि की खरीद फरोख्त में करोड़ों के काले धन को खपाया गया है। आरोप है कि भूमाफियाओं ने जमीन बेचने के बाद रविकांत फुलारा को बंधक बनाया और डरा धमकाकर रखा था। उससे जबरन अपने पक्ष में बैनामा कराने के बाद 3.25 करोड़ की रकम वापस ले ली। रविशंकर के अनुसार रविकांत की माली हालत अब भी खराब है।

वर्ष 2024 में तत्कालीन जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने विवादित 7.68 एकड़ भूमि को फिर से सरकार में निहित कर एसडीएम व तहसीलदार को कब्जा लेने के निर्देश दिए थे लेकिन एसडीएम ने जिलाधिकारी के आदेशों की अवमानना करते हुए आज तक इसका कब्जा नहीं लिया। कार्रवाई न होने से भूमाफियाओं और सफेदपोश नेताओं की सरकार और प्रशासन में मजबूत पकड़ का पता चलता है। इन प्रभावशाली लोगों के विरुद्ध पुलिस-जांच कितनी निष्पक्ष और प्रभावी होगी, यह पूरी तरह से सरकार की मंशा पर ही निर्भर रहेगा। – रविशंकर जोशी शिकायतकर्ता


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