बड़ा खुलासा- माता-पिता में कैंसर के खतरे को लेकर रहें सावधान, देखा जा रहा है अधिक जोखिम |
कैंसर का जोखिम वैश्विक स्तर पर सभी उम्र के लोगों में देखा जा रहा है। इसे मृत्यु के प्रमुख कारणों में से भी एक माना जाता रहा है। शोधकर्ता बताते हैं, लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण कैंसर का खतरा किसी को भी हो सकता है, हालांकि कुछ खास आयुवर्ग वालों में इसका जोखिम अधिक देखा जा रहा है।
कैंसर के जोखिमों को लेकर हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि बेबी बूमर्स की तुलना में जेन एक्स वाले लोगों में कैंसर होने का खतरा अधिक हो सकता है। जेन एक्स 1965-1980 के बीच पैदा हुए लोग और बेबी बूमर्स सन् 1946-1964 के बीच पैदा हुए लोगों को कहा जाता है।
जामा ओपन नेटवर्क में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया, 60 से 80 की उम्र वाले लोगों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इस आयुवर्ग वालों में कैंसर का खतरा अधिक देखा जा रहा है। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने 1992 से 2018 तक अमेरिका में घातक कैंसर से पीड़ित 3.8 मिलियन (38 लाख) लोगों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड की जांच की। इसमें पाया गया है कि जेनरेशन एक्स में कैंसर की दर अन्य आयु वालों की तुलना में काफी अधिक है।’
60-70 आयु वालों में कैंसर का खतरा
कैंसर के बढ़ते जोखिमों का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने कंप्यूटर मॉडलिंग का इस्तेमाल किया। कई स्तर पर किए गए अध्ययनों में पाया गया है कि जब 2025 से जनरेशन एक्स के लोग 60-70 साल के हो जाएंगे, तो उनमें बेबी बूमर्स सहित पिछली पीढ़ियों की तुलना में आक्रामक कैंसर होने का खतरा अधिक हो सकता है।
येल विश्वविद्यालय में क्लिनिकल और ट्रांसलेशनल रिसर्च के निदेशक एफ. पेरी विल्सन ने कहा, हमारे पास एक ऐसी पीढ़ी है जिसके माता-पिता में कैंसर की दर अधिक देखी जा रही है। कई वजहें हैं जो कैंसर के खतरे को बढ़ा रही हैं जिसको लेकर सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
शोधकर्ताओं ने कहा, कैंसर के खतरे को कम करने के लिए कई तरह के पहल किए गए। धूम्रपान छोड़ने के लिए अभियान के साथ कोलन, रेक्टल और स्तन कैंसर के लिए स्क्रीनिंग परीक्षणों में वृद्धि जैसे प्रयासों के बावजूद कैंसर की दर अधिक देखी जा रही है। अध्ययन के मुताबिक मोटापा, गतिहीन जीवनशैली इस आयुवर्ग में उच्च कैंसर दर का प्रमुख कारण हो सकती है।
जेन एक्स वाले पुरुषों और महिलाओं में थायरॉयड कैंसर, किडनी कैंसर और ल्यूकेमिया कैंसर के मामले सबसे अधिक रिपोर्ट किए जा रहे हैं। वहीं इस आयु वर्ग की महिलाओं में गर्भाशय, अग्नाशय और ओवेरियन कैंसर के मामले अधिक देखे गए हैं।
उम्र बढ़ने के साथ बढ़ जाता है कैंसर का खतरा
शोधकर्ताओं ने बताया, कई अध्ययन रिपोर्ट्स में जेन एक्स और युवा लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर में वृद्धि की खबरें सामने आती रही हैं। हालांकि इससे बड़ी चिंता एक बड़ी आबादी के माता-पिता में बढ़ता जोखिम भी है। प्रोफेसर विल्सन ने कहा, इस पेपर में महत्वपूर्ण बात यह समझना है कि बढ़ती उम्र कैंसर का एक प्रमुख जोखिम कारक है। आज का 50 वर्षीय व्यक्ति 1980 में 50 वर्ष की आयु वाले व्यक्ति की तुलना में संभावित रूप से कार्सिनोजेन्स के अधिक संपर्क में देखा जा रहा है।
समय पर निदान जरूरी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, जेनरेशन एक्स में कैंसर के जोखिमों को तो कम नहीं किया जा सकता है, लेकिन समय पर इसका निदान हो जाए तो रोग के गंभीर रूप लेने का जोखिम जरूर कम किया जा सकता है। खान-पान और लाइफस्टाइल को ठीक रखना कैंसर की रिकवरी में भी सहायक है। हम वैश्विक स्तर पर कैंसर के बढ़ते जोखिमों की चपेट में हैं।