Ayodhya – मंदिर में रखी मुख्यमंत्री योगी की मूर्ति हुई रहस्यमय तरीके से गायब, मंदिर बनवाने वाला भी हुआ लापता

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पूराकलंदर थाना क्षेत्र के अयोध्या-प्रयागराज हाईवे के किनारे स्थित कल्याण भदरसा मजरे मोर्या का पुरवा में निर्मित योगी मंदिर से रविवार दोपहर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मूर्ति ही रहस्यमय स्थिति में गायब हो गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि मूर्ति पुलिस की गाड़ी से आए लोग उठा ले गए जबकि पुलिस का कहना है कि मूर्ति मंदिर का निर्माण करने वाले प्रभाकर मौर्या ने स्वयं गायब की है। वहीं इसके बाद से प्रभाकर लापता बताया जा रहा है। उसका मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ आ रहा है। दूसरी ओर रविवार को राजस्व विभाग की टीम ने उक्त भूमि की पैमाइश भी की।

बता दें कि कल्याण भदरसा मजरे मोर्या का पुरवा में योगी मंदिर का निर्माण स्थानीय निवासी व अपने को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रचारक बताने वाले प्रभाकर मौर्या ने करवाया था। रविवार की दोपहर योगी मंदिर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिमा ही रहस्यम तरीके से गायब हो गई।
प्रभाकर मौर्या के चाचा रामनाथ मौर्या सहित आसपास के लोगों व प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि रविवार दोपहर नीली बत्ती लगी हुई पुलिस की गाड़ियां आईं और मूर्ति को मंदिर से उठाकर अपने साथ ले गईं। वहीं, प्रभारी निरीक्षक पूराकलंदर राजेश सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मूर्ति कौन और कहां ले गया, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। बताया कि संभावना है कि प्रभाकर ही अपने साथ मूर्ति ले गया हो क्योंकि अब उसका कोई पता नहीं चल रहा है। उसका मोबाइल भी स्विच आफ बता रहा है। प्रभाकर का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है।

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कृषि विवि की जमीन पर बनाया मंदिर
रविवार को सोहावल तहसील के प्रशासनिक अमले ने राजस्व निरीक्षक की मौजूदगी में मंदिर स्थल के आसपास के भूखंड की पैमाइश की। जांच में सामने आया कि योगी मंदिर का एरिया करीब एक बिस्वा से कम ही है परंतु मंदिर से सटा सरकारी भूमि का रकबा गाटा संख्या 32 और 36 का क्षेत्रफल 4.0 82 हेक्टेयर, यानी करीब 40 बीघा से अधिक है। बगल में गाटा संख्या 37 में स्थापित शनि देव के मंदिर का रकबा कुल 34 हेक्टेयर है।

मंदिर भूखंड स्थल की पैमाइश में जुटी सोहावल तहसील की टीम का नेतृत्व कर रहे राजस्व निरीक्षक दयाराम वर्मा का कहना है कि जिस भूमि और क्षेत्रफल में योगी मंदिर स्थापित किया गया है, वह जमीन आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के नाम से दर्ज है। उसकी गाटा संख्या 32 और 36 है। कुल रकबा लगभग 40 बीघा से अधिक है। जबकि बगल में स्थापित गाटा संख्या 37 में शनिदेव का मंदिर है जिसका रकबा लगभग 34 बीघा है। हालांकि मंदिर करीब एक बिसवां से कम ही जमीन पर स्थापित किया गया है। बाकी की जमीन में पहले से फूल पत्ती व पेड़-पौधे लगे हुए हैं।


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