अयोध्या- जगदगुरु स्वामी श्री बल्लभाचार्य जी के श्रीमुख से हो रही श्री राम कथा रसपान चारु शिला मंदिर में
जगदगुरु स्वामी श्री बल्लभाचार्य जी महाराज ने भक्तो को श्री रामकथा रस का पान कराते हुए कहते हैं देवराज इंद्र को गौतम ऋषि जी ने अपने साथ छल करने के लिए श्राप दिया। परिणाम स्वरूप इंद्र के सम्पूर्ण शरीर में एक हजार भग हो गई। ऋषि गौतम जी को दया आ गई, ऋषि जी ने कहा हे देवेन्द्र जब श्री रामचंद्र जी का विवाह होगा तब तुम्हारे शरीर के ये भग एक हजार नेत्रों में परिवर्तित हो जायेंगे।
ऋषि गौतम जी ने अहिल्या जी को भी श्राप दिया तुम्हे अपने पति और पराए में अंतर नही
दिखाए जाओ तुम पत्थर की शिला बन जाओ, अहिल्या पत्थर बन गई। ऋषि विश्वामित्र जी ने श्री राम जी को अहिल्या उद्धार का प्रसंग सुनाया। विश्वामित्र जी ने श्री राम जी से कहा श्री राम जी आपके चरण रज के स्पर्श से इस पत्थर बनी अहिल्या का उद्धार हो जायेगा।
श्री राम जी ने अहिल्या का अपने चरण रज से उऋार किया। अहिल्या एक सुंदर नारी बनकर प्रकट हुई और प्रभु श्री राम की स्तुति करते हुए अपने पति ऋषि गौतम के लोक पधार गई।
जगद् गुरु स्वामी श्री वर्ष धार्य जी महाराज ने भक्तों को
ऋषि विश्वामित्र एवम गुरु वशिष्ठ जी की तपस्या की महिमा वर्णित किया जिसे श्रवण कर कथा श्रोता भक्त श्री राम कथा की
मंदाकिनी में गोते लगाने लगे। इस पुनीत अवसर पर राम कथा के रसिक भक्त कयामृत पान कर कृतार्थ होते रहे