
अयोध्या में हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेम दास ने सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए हनुमान जी के निशान के साथ राम जन्मभूमि रामलला का दर्शन पूजन कर 56 भोग अर्पित किया। महंत प्रेमदास शाही जुलूस के साथ सैकड़ों नागा साधुओं के साथ रथ पर सवार होकर हनुमानगढ़ी से सरयू घाट पहुंचे, जहां उन्होंने सरयू स्नान कर पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए पर्यटकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।अयोध्या में हनुमानगढ़ी की पंचायती परंपरा है। जहां चार पट्टियां सागरीय, उज्जैनिया, बसंती या, हरिद्वारी पट्टियों की महंतो की परंपरा है। चार महंतो के ऊपर एक श्री महंत गद्दीनशीन होते है। जो चारों पट्टियों से चुने जाते है। जो गद्दीनशीन महंत होते है वह सिर्फ राम की सेवा में समर्पित होते है और वह हनुमानगढ़ी की 52 बीघा के दायरे में रहते है। वह इस दायरे से बाहर नहीं जा सकते है। लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेमदास हनुमान जी के प्रतिनिधि के रूप में हनुमानगढ़ी की परिधि से बाहर जाकर रामलला का दर्शन करने के लिए पहुंचे, महंत प्रेमदास ने नई परंपरा की शुरुआत की उन्होंने हनुमानगढ़ी के पवित्र निशान के साथ राम लला के दरबार में हनुमान जी के प्रतिनिधि के रूप में रामलला का दर्शन किया और हनुमान जी को छप्पन भोग अर्पित किया। यही नहीं हनुमान जी का विशेष भोग भी अर्पित किया।जहां राम भक्त हनुमान के प्रतिनिधि के रूप में गद्दीनशीन महंत प्रेम दास राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला का दर्शन कर रहें है। हनुमानगढ़ी के नागा साधुओं ने शाही जुलूस में तलवार बाजी और लाठी बाजी का करतब दिखा कर अपनी ताकत का एहसास भी कराया।
शाही जुलूस में ऊंट और घोड़ों पर सवार साधू जय श्रीराम के उदघोष करते नजर आए। इस दौरान हनुमान गढ़ी के नागा साधू उत्साह से लबरेज नजर आए।हनुमानगढ़ी के शाही जुलूस का स्वागत नगर विधायक वेद प्रसाद गुप्ता और जिला प्रशासन के अधिकारी डीएम निखिल टीकाराम एसएसपी राजकरण नैय्यर ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।