ब्रेकिंग न्यूज :

अयोध्या: आज से 75 साल पहले आज ही 22 दिसंबर की आधी रात विवादित परिसर में प्रकट हुए थे रामलला,आज स्मृति पर्व

Spread the love

गवान श्रीरामलला के भव्य मंदिर में विराजमान हुए एक वर्ष होने को है। सुदीर्घ संघर्ष की इस सुखद परिणति तक पहुंचने का अपना इतिहास है। इस महायात्रा का सबसे महत्वपूर्ण प्रसंग 1949 में 22/23 दिसंबर की रात घटित हुआ जब विवादित परिसर में रामलला प्रकट हुए। रामलला का यह प्राकट्य राममंदिर आंदोलन का अहम पड़ाव रहा। तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट गुरुदत्त सिंह की साहसिक और ऐतिहासिक भूमिका इस प्रसंग में अविस्मरणीय है।

गुरुदत्त सिंह स्मृति सेवा संस्थान 23 दिसंबर को श्रीरामलला के प्राकट्य व ठाकुर गुरुदत्त सिंह के योगदान को ध्यान में रखकर एक स्मृति पर्व आयोजित करने जा रहा है। इस अवसर पर 22/23 की रात घटित हुए प्रसंग की चर्चा करना मौजू है। 22 दिसंबर, 1949 की आधी रात विवादित परिसर में भगवान रामलला की मूर्ति मिलने के बाद हिंदू समाज में उत्साह बढ़ गया था। हजारों रामभक्त अयोध्या में एकत्र हो गए थे। उस समय अयोध्या के जिलाधिकारी केके नैयर व सिटी मजिस्ट्रेट ठाकुर गुरुदत्त सिंह थे। सिटी मजिस्ट्रेट को कार्यभार देकर डीएम उस दौरान अवकाश पर चले गए।

उधर, तत्कालीन प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत को निर्देश दिया कि विवादित परिसर से तत्काल मूर्ति हटवाई जाए। डीएम का कार्यभार देख रहे सिटी मजिस्ट्रेट ठाकुर गुरुदत्त सिंह ने प्रदेश सरकार को रिपोर्ट भेजी की इस समय मूर्ति हटाने से स्थिति अनियंत्रित हो सकती है। दंगा भड़क सकता है। मूर्ति हटाने का बढ़ता दबाव देखते हुए उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट के पद से इस्तीफा दे दिया। त्यागपत्र देने से पूर्व सिटी मजिस्ट्रेट ने दो ऐतिहासिक फैसले किए। यही फैसले बाद में रामजन्मभूमि की मुक्ति के आधार बने।

और पढ़े  MLA ने किया पाप:- भाजपा विधायक समेत इन पर लगे महिला से दुष्कर्म करने के आरोप, करोड़ों की जमीन हड़पी, 2 साल दुबकी रही खाकी

पहला आदेश पारित करते हुए विवादित परिसर क्षेत्र को धारा 155 में कुर्क करते हुए वहां शांति भंग न हो इसके लिए धारा 144 लागू कर दी। दूसरे आदेश में रामलला की मूर्ति के भोग प्रसाद व पूजन प्रतिदिन करने का आदेश हिंदुओं के पक्ष में कर दिया। इसके तुरंत बाद प्रशासन ने विवादित परिसर में ताला लगवा दिया। हालांकि ठाकुर गुरुदत्त सिंह का आदेश ही ताला खुलवाने में सहायक साबित हुआ।

पगड़ी पहनते थे, श्रीराम में थी गहरी आस्था
गुरुदत्त सिंह के पौत्र शक्ति सिंह बताते हैं कि गुरुदत्त प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी अपनी धार्मिक निष्ठा के लिए जाने जाते थे। उन्होंने कभी हैट नहीं पहना। वे हमेशा पगड़ी पहनते थे। शाकाहारी गुरुदत्त सिंह की श्रीराम में गहरी आस्था थी।

error: Content is protected !!