अयोध्या का माहौल तेजी से बदल रहा है। कभी छह दिसंबर का जिक्र आते ही शहर की हवा बोझिल लगने लगती थी, पर अब वही दिन धार्मिक तनाव की जगह सामाजिक सामंजस्य और प्रगति का प्रतीक बनता जा रहा है। न तल्खी, न आरोप–प्रत्यारोप, न ही शौर्य का इजहार… बल्कि हिंदू-मुस्लिम समुदाय कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ती अयोध्या की नई इबारत लिखते दिखाई पड़ते हैं।
छह दिसंबर की पूर्व संध्या पर रामनगरी में उत्सवी माहौल रहा। सरयू तट से लेकर राम मंदिर की चौखट तक जयकारे गूंजे। रामलला का दरबार भक्तों से गुलजार रहा तो हनुमानगढ़ी में भी भक्तों का रेला नजर आया। शहर की गलियों में वही रौनक, चौक-चौराहों पर सामान्य दिन की हलचल और बाजारों में रोजमर्रा की चहलकदमी। यह नजारा बताता है कि अयोध्या अब अपने अतीत के दर्द पर नहीं, भविष्य की संभावनाओं में जीना सीख चुकी है।







