विधानसभा चुनाव परिणाम:- 4 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आज, क्या है शुरुआती रुझान ।।
शुरुआती रुझानों में एमपी राजस्थान में भाजपा आगे
मध्य प्रदेश में भाजपा 80 और कांग्रेस 65 सीटों पर आगे हैं। वहीं दो सीटों पर अन्य आगे हैं।
राजस्थान में भाजपा 70 सीटों पर और कांग्रेस 60 सीटों पर आगे है। अन्य 8 सीटों पर आगे चल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में भाजपा 32 सीटों पर और कांग्रेस 36 सीटों पर आगे है।
तेलंगाना में बीआरएस 35 सीटों पर, कांग्रेस 55 सीटों पर और भाजपा तीन सीटों पर आगे है। पांच सीटों पर अन्य आगे हैं।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के परिणाम आज आएंगे। शुरुआती रुझानों के बाद सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। इस बीच हम आपको बता रहे हैं उन सुरक्षित सीटों (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति) के नतीजों के बारे में। सियासी बिसात के लिहाज से देखें तो इन सीटों पर जिन पार्टियों ने जीत हासिल की, उनकी जीत की राह काफी हद तक आसान हो जाती है।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों पर 17 नवंबर को मतदान हुआ था। पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2018 में यहां कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उसे 114 सीटों पर जीत मिली थी। इसके अलावा भाजपा को 109, बसपा को दो, सपा को एक और निर्दलीयों को चार सीटें मिली थीं। हालांकि, कांग्रेस ज्यादा दिन तक सत्ता में नहीं बनी रह सकी थी और ज्यातिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद भाजपा ने सत्ता में वापसी की।
सुरक्षित सीटों की बात करें तो मध्य प्रदेश में एससी की 35 सीटें हैं। पिछली बार विधानसभा चुनाव में भाजपा को 18 और कांग्रेस को 17 सीटों पर जीत मिली थी। इसी तरह प्रदेश में एसटी की 47 सीटें हैं। पिछली बार इनमें से 16 सीटों पर भाजपा और 30 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी, जबकि एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई थी।
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ की कुल 90 विधानसभा सीटों के लिए इस बार दो चरणों में चुनाव हुए। पिछली बार जब विधानसभा चुनाव कराए गए थे, तब कांग्रेस ने 68 सीटों के साथ जबरदस्त जीत दर्ज की थी। भाजपा को 15, जेसीसी (जे) को पांच और बसपा को दो सीटों से संतोष करना पड़ा था।
अब बात अगर सुरक्षित सीटों की करें तो इस आदिवासी राज्य में एससी की 10 सीटें हैं। इनमें कांग्रेस ने सात, भाजपा ने दो और बसपा ने एक सीट पर कब्जा जमाया था। इसी तरह प्रदेश में एसटी की कुल 29 सीटें हैं, जिनमें से 26 पर कांग्रेस और तीन पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी।
राजस्थान
राजस्थान में अशोक गहलोत के सामने रिवाज बदलने की चुनौती है। यहां हर पांच साल बाद सरकार बदलने का रिवाज है। पिछली बार जब 199 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए थे तब कांग्रेस ने 99 सीटों के साथ सरकार बनाई थी। भाजपा को 73, बसपा को छह, आरएलपी को तीन, निर्दलीयों को 13 और अन्य को पांच सीटें मिलीं थी।
इस बार यहां 25 नवंबर को चुनाव कराए गए। इस दौरान एससी की 33 और एसटी की 25 सीटों पर भी मतदान हुआ। पिछले चुनावों में सुरक्षित सीटों पर कांग्रेस का दबदबा रहा था। कांग्रेस को एससी की 19 और एसटी की 12 सीटों पर जीत मिली थी। इसी तरह भाजपा को एससी-एसटी की 11-11 सीटों पर जीत मिली थी। एससी की दो सीटें राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार को मिली थी। ऐसे ही एसटी की दो सीटें निर्दलीयों के खाते में गई थी।
तेलंगाना
तेलंगाना में विधानसभा की कुल 119 सीटें हैं। इनमें से 88 सामान्य, 19 एससी और 12 एसटी की हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (अब भारत राष्ट्रीय समिति) ने 88 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। कांग्रेस को 19, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को सात, तेलुगू देशम पार्टी को दो, निर्दलीयों को एक और अन्य को एक सीट मिली थी।
सुरक्षित सीटों की बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव में एससी की 19 सीटों में से टीआरएस को 16, कांग्रेस को दो और टीडीपी को एक सीट मिली थी। इसी तरह एसटी की 12 सीटों में से टीआरएस और कांग्रेस को पांच-पांच, टीडीपी और निर्दलीय को एक-एक सीट मिली थी।
मिजोरम
मिजोरम की 40 विधानसभा सीटों के लिए सबसे पहले 7 नवंबर को मतदान कराए गए थे। इससे पहले जब पिछले चुनाव हुए थे तो मिजो नेशनल फ्रंट ने 26 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। इसके अलावा कांग्रेस को पांच, भाजपा को एक और निर्दलीयों को आठ सीटें मिली थीं।
पूर्वोत्तर राज्य में अनुसूचित जाति के लिए 39 सीटें आरक्षित हैं। पिछली बार इनमें से 25 सीटों पर एमएनएफ, पांच पर कांग्रेस, एक पर भाजपा और आठ पर निर्दलीयों ने जीत दर्ज की थी। राज्य की एकमात्र सामान्य सीट एमएनएफ के खाते में आई थी।