अरविंद केजरीवाल:- अभी भी जेल में रहेंगे मुख्यमंत्री, केजरीवाल को मिली इन शर्तों पर जमानत, न CM ऑफिस जा सकें और न ही सचिवालय
आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक अरविंद केजरीवाल को बेशक कथित आबकारी घोटाले में जमानत मिल गई है, लेकिन ‘मुख्यमंत्री’ केजरीवाल अभी भी जेल में रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट की तरफ लगाई गई बंदिशों की वजह से केजरीवाल अभी बतौर मुख्यमंत्री काम नहीं कर सकेंगे। वह उन्हीं जरूरी फाइलों पर दस्तखत कर सकेंगे, जिनको उपराज्यपाल को भेजा जाना है। आप का मानना है कि कैबिनेट विस्तार समेत इसकी बैठकों के बारे में सुप्रीम अदालत से स्पष्टीकरण लेना पड़ेगा। वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने भी इशारा किया है कि इस बारे में वह अदालत का रूख कर सकते हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को सशर्त जमानत दी है। जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय व दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकेंगे। वहीं, किसी भी सरकारी फाइल पर तब तक दस्तखत नहीं करेंगे, जब तक ऐसा करना जरूरी न हो। यह वही फाइलें होंगी, जिनको उपराज्यपाल के पास भेजा जाना है। इससे कैबिनेट बैठक, उसके विस्तार और दूसरे कामों को करने की इजाजत नहीं होगी।
आप लीगल टीम का भी मानना है कि मुख्यमंत्री के कामकाज पर अदालत ने बंदिशें लगाई हैं। जबकि दिल्ली कैबिनेट का विस्तार लंबित है। पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद के इस्तीफे के बाद कैबिनेट में एक पद खाली है। वहीं, कैबिनेट बैठक से तैयार होने वाले कैबिनेट नोट पर मुख्यमंत्री का दस्तखत करने होंगे। दूसरे और भी कई जरूरी काम हैं, जिनकी फाइल उपराज्यपाल को नहीं भेजनी होती। इन सब मामलों में स्पष्टीकरण के लिए वह अदालत जाएंगे। इस पर पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का भी कहना है कि इस तरह के शर्तों को अगर अदालत में चुनौती दी जाएगी तो वह नहीं टिकेंगी।
अरविंद केजरीवाल पर लगाई गई शर्तें
– अरविंद केजरीवाल न तो मुख्यमंत्री कार्यालय और न ही सचिवालय जा सकेंगे।
– किसी भी सरकारी फाइल पर तब तक दस्तखत नहीं करेंगे जब तक एलजी की ऐसा करना जरूरी न हो।
– अपने ट्रायल को लेकर कोई सार्वजनिक बयान या टिप्पणी नहीं करेंगे।
– किसी भी गवाह से किसी तरह की बातचीत नहीं करेंगे।
– इस केस से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक पहुंच नहीं रखेंगे।
– जरूरत पड़ने पर ट्रायल कोर्ट में पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे।
सीएम ने 156 दिन काटी जेल
अरविंद केजरीवाल को सिविल लाइंस स्थित उनके आवास से 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। 10 दिन की पूछताछ के बाद एक अप्रैल को उनको तिहाड़ जेल भेज दिया गया। बाद में जेल में ही 26 जून को सीबीआई ने इसी मामले में पूछताछ के लिए गिरफ्तार कर लिया। करीब 51 दिन बाद 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने 21 दिन के लिए अंतरिम बेल दी थी। मकसद लोक सभा चुनावों में अपनी पार्टी के लिए प्रचार करने का था। दो जून को केजरीवाल ने सरेंडर कर दिया था। ईडी की गिरफ्तारी के बाद से सीधे अगर शुक्रवार 13 सितंबर को केजरीवाल की रिहाई हो रही होती तो उनको 177 दिन में काटने पड़तते। लेकिन 21 दिन की रिहाई को कम करने से जेल में रहने वाले दिनों की संख्या 156 दिन बैठती है।