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यूपी उपचुनाव परिणाम 2024:- मुख्यमंत्री योगी के काम पर लगी मुहर, 2 सीटों पर सिमटी सपा, कहीं 31 तो कहीं 33 साल बाद जीती भाजपा

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यूपी के विधानसभा उपचुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ के काम पर मतदाताओं ने पक्की मुहर लगा दी। भाजपा गठबंधन के खाते में 7 सीटें गईं, जबकि सपा दो सीटों पर सिमट कर रह गई। मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट भी भाजपा ने सपा से छीन ली। इस सीट के परिणामों को सबसे बड़ा उलटफेर माना जा रहा है।

वर्ष 2022 के चुनाव के मुकाबले भाजपा गठबंधन को तीन सीटों का फायदा हुआ, जबकि इंडिया गठबंधन को इतना ही नुकसान। राष्ट्रीय लोकदल अपनी मीरापुर सीट बचाने में कामयाब रहा। बसपा का प्रदर्शन बेदम रहा। वह चार सीटों पर दस हजार वोट से नीचे सिमट गईं। वहीं, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने मीरापुर और कुंदरकी में अपनी ठीकठाक उपस्थिति दर्ज कराई।
मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल की प्रत्याशी मिथिलेश पाल ने 30796 मतों से जीती। दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी की सुम्बुल राणा रहीं। पिछली बार रालोद ने सपा गठबंधन के साथ यहां जीत दर्ज की थी और इस बार बतौर भाजपा गठबंधन प्रत्याशी उसे जीत मिली। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला परिणाम कुंदरकी में रहा, जहां 65 फीसदी मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद सपा प्रत्याशी मो. रिजवान की जमानत जब्त हो गई। यहां भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह 1.45 लाख मतों से जीते। रामवीर सिंह को 76.68 प्रतिशत मत मिले। 

करहल में घटा सपा की जीत का अंतर

UP by-election results: CM's work confirmed, SP limited to two seats, somewhere 31 and somewhere BJP won after
गाजियाबाद में भाजपा के संजीव शर्मा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के सिंह राज जाटव को 27595 मतों से हराया। खैर सीट पर भाजपा के सुरेंद्र दिलेर ने सपा की चारू कैन को 38393 मतों से शिकस्त दी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के सांसद बनने से रिक्त हुई करहल सीट पर जीत-हार का अंतर काफी कम रहा। यहां सपा के तेज प्रताप सिंह ने भाजपा के अनुजेश प्रताप सिंह को 14725 मतों से हराया। जबकि, करहल में वर्ष 2022 का चुनाव अखिलेश यादव ने 67 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से जीता था।

सीसामऊ के हाथों आई सफलता

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सीसामऊ में सपा उम्मीदवार नसीम सोलंकी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के सुरेश अवस्थी को 8564 मतों से हराया। करहल के बाद अपनी सीसामऊ सीट ही सपा बचाने में सफल रही। फूलपुर सीट एक बार फिर भाजपा के खाते में आई। भाजपा के दीपक पटेल ने सपा के मो. मुज्तबा सिद्दीकी को 11305 मतों से पराजित किया। कटेहरी सीट, भाजपा ने सपा से छीन ली। भाजपा के धर्मराज निषाद ने समाजवादी पार्टी की शोभावती वर्मा पर 34514 मतों से जीत हासिल की। शोभावती वर्मा, सपा सांसद व पूर्व मंत्री लालजी वर्मा की पत्नी हैं। लालजी वर्मा के सांसद चुने जाने के कारण ही यह सीट रिक्त हुई थी।

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मझवां में भाजपा की सुचिस्मिता मौर्य ने सपा की डॉ. ज्योति बिंद को 4922 मतों के अंतर से हराया। पिछले चुनाव में यह सीट एनडीए गठबंधन में शामिल निषाद पार्टी ने जीती थी। इस चुनाव में बसपा कहीं भी मुख्य लड़ाई में नहीं दिखी। जबकि, आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशियों जाहिद हुसैन व चांदबाबू ने क्रमशः मीरापुर और कुंदरकी में तीसरे नंबर पर रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

31 साल के बाद जीती भाजपा

लगातार तीन चुनाव जीतने के बाद उपचुनाव में कुंदरकी विधानसभा सीट पर सपा का वर्चस्व टूट गया। सपा के गढ़ में भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह ने मुस्लिम मतों में सेंध लगाकर 31 साल बाद कमल खिला दिया। रामवीर सिंह ने तीन बार के विधायक सपा प्रत्याशी हाजी रिजवान को 1,44,791 मतों के बड़े अंतर से हराया। सभी को चाैंकाते हुए चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) बसपा को पछाड़कर तीसरे स्थान पर रही। जियाउर्रहमान बर्क के सांसद बनने के बाद उनके इस्तीफे से खाली हुई कुंदरकी विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को मतदान हुआ था।

33 साल बाद मिली जीत

वोटों की झमाझम बारिश के बीच कटेहरी में 33 वर्ष बाद कमल आखिर खिल ही गया। इससे पहले वर्ष 1991 में इस सीट पर बीजेपी के अनिल तिवारी जीते थे। इसके बाद से पार्टी ने यहां कई प्रयोग किए लेकिन जीत दर्ज करने में सफलता नहीं मिल पाई। जिन धर्मराज के हाथों यहां पार्टी कई बार पराजित हुई। अब उन्हीं को प्रत्याशी बनाने पर पार्टी यहां हार का सिलसिला तोड़ पाने में सफल हुई।

कटेहरी में भाजपा को तीन दशक से भी अधिक समय से जीत का इंतजार बना था। यूं तो यही हाल अकबरपुर विधानसभा सीट का भी है। लेकिन कटेहरी को सवर्ण दबदबे वाली सीट माना जाता है। इसके बाद भी यहां चुनाव दर चुनाव भाजपा के हिस्से हार आती रही। वर्ष 1991 में जब अकबरपुर से शिवसेना से पवन पांडेय विजयी होकर विधायक बने थे तो उसी चुनाव में कटेहरी से अनिल तिवारी जीत दर्ज करने में सफल रहे थे। उन्होंने बीएसपी के रामदेव वर्मा को करीब सात हजार मतों से हराया था।

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