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क्या राहुल गाँधी को जाना होगा जेल?-हाईकोर्ट में नहीं हुई याचिका दायर,क्या है कानूनी दांव-पेंच समझें..

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क्या राहुल गाँधी को जाना होगा जेल?-हाईकोर्ट में नहीं हुई याचिका दायर,क्या है कानूनी दांव-पेंच समझें..

“मोदी सरनेम” वाले बयान से जुड़े आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को एक के बाद एक झटका लग रहा है। निचली अदालत से दोषी ठहराए जाने के खिलाफ राहुल ने सेशंस कोर्ट में याचिका दायर की थी, जो गुरुवार को खारिज हो गई।

कहा जा रहा था कि इस फैसले के खिलाफ शुक्रवार को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी, लेकिन अब तक याचिका दायर नहीं की गई है। अब अगले दो दिन कोर्ट बंद रहेगा। इसी बीच, निचली अदालत की तरफ से दिया गया एक महीने का मोहलत भी खत्म हो जाएगा।

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या अब राहुल गांधी जेल जाएंगे? आखिर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष करना क्या चाहते हैं? दिग्गज वकीलों वाली कांग्रेस ने राहुल के लिए ऐसा रुख क्यों अपना रखा है? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं….

पहले जानिए क्या अब राहुल जेल जाएंगे?
इसे समझने के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय से बात की। उन्होंने कहा, ‘अभी राहुल गांधी की गिरफ्तारी और जेल जाने का कोई मसला नहीं है। 23 मार्च को मानहानि केस में राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाने के साथ ही 30 दिन की जमानत दी गई थी। इन्हीं 30 दिनों के अंदर राहुल को ऊपरी अदालत में अपील करना था। ये समय सीमा आज से दो दिन बाद यानी 23 अप्रैल को खत्म हो रही है।

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हालांकि, इसके पहले तीन अप्रैल को सूरत के सेशन कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ तीन अपील दायर की गई थी। मुख्य याचिका में CJM कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। इस पर तीन मई को सुनवाई होगी। दूसरी याचिका में दो साल की सजा पर रोक की मांग की गई। तीन अप्रैल को कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए राहुल को अंतरिम जमानत दे दी थी।

तीसरी याचिका में दोषी ठहराए जाने पर रोक यानी कन्विक्शन पर स्टे की मांग की गई थी। गुरुवार 20 अप्रैल को सूरत की सेशन कोर्ट ने ये याचिका खारिज कर दी। मतलब अभी तीन मई तक राहुल पर कोई खतरा नहीं है। इस बीच, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।’

अदालत के फैसलों के खिलाफ धीमी गति से क्यों चल रहे राहुल?
सूरत की सीजेएम कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी। इसके अगले ही दिन उनकी संसद सदस्यता चली गई। देशभर में कांग्रेस नेताओं ने इसको लेकर विरोध प्रदर्शन किया। विपक्षी दलों को एकजुट किया, लेकिन उस दौरान राहुल ने कोर्ट के फैसले को सेशंस कोर्ट में चुनौती नहीं दी।

11वें दिन वह सेशंस कोर्ट पहुंचे। तब उन्होंने तीन याचिकाएं दायर की। उसी दौरान उन्हें अंतरिम जमानत तो मिल गई, लेकिन दोषी ठहराए जाने के खिलाफ दायर याचिका को 20 अप्रैल को कोर्ट ने खारिज कर दिया। आज इसके खिलाफ राहुल हाईकोर्ट जाने वाले थे, लेकिन अब तक याचिका नहीं दायर हुई। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस पार्टी में देश के बड़े-बड़े अधिवक्ता हैं, वो अपने नेता के बचाव में तुरंत क्यों नहीं ऊपरी अदालतों का रुख कर रही है?

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इसे समझने के लिए हमने राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘ये तो साफ दिख रहा है कि कांग्रेस इस मामले में धीमी गति से फैसले ले रही है। ऐसे में संभव है कि कांग्रेस खुद इस मामले को लंबा चलाना चाहती हो ताकि इसका फायदा उसे चुनावों में मिल सके। वह लोगों को यह बताना चाहती है कि चूंकि राहुल गांधी ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी, इसलिए उनके खिलाफ इस तरह का षडयंत्र चल रहा है। कांग्रेस को इसका फायदा हो या न हो, लेकिन विपक्ष जरूर इसके जरिए सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। इसी का हवाला देकर कांग्रेस 2024 के लिए सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में जुटी हो।’

संसद की सदस्यता पर रोक कब हटेगी?
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय कहते हैं, ‘इस मामले में अभी समय लग सकता है। ये भी साफ नहीं है कि फिलहाल राहुल की संसद सदस्यता वापस आ जाएगी या नहीं। संसद की सदस्यता राहुल को तभी वापस मिल सकती है, अगर ऊपरी अदालत से उनकी सजा पर रोक लग जाए या निचली अदालत का फैसला रद्द हो जाए।’

अब राहुल के पास क्या विकल्प है?
अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय बताते हैं कि राहुल गांधी की तरफ से हाईकोर्ट में दो आवेदन दिए जा सकते हैं। इसमें वह सजा पर रोक यानी स्टे की मांग के साथ-साथ दोषसिद्धि पर रोक यानी कन्विक्शन पर स्टे की अपील कर सकते हैं। राहुल गांधी को फिलहाल अंतरिम जमानत मिली है। ऐसे में वह स्थायी जमानत और सजा कम कराने के लिए हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। इसके अलावा दोषी ठहराए जाने के खिलाफ सूरत सेशन कोर्ट के फैसले को भी चुनौती देंगे। ताकि उनकी संसदी फिर से बहाल हो जाए।

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