PM MODI In Ayodhya: दीपोत्सव में पहुंचे प्रधानमंत्री ने कहा – राम जी के आशीर्वाद से हुऐ त्रेता की अयोध्या के दर्शन।।

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अयोध्या में छठवें दीपोत्सव कार्यक्रम में पीएम मोदी और सीएम योगी ने प्रज्ज्वलित दीपों का अवलोकन किया। इसके बाद भव्य लाइटिंग के बीच प्रोजेक्शन मैपिंग और संगीतमय लेजर शो के जरिए रामायण का भी प्रदर्शन किया गया। इससे पहले, कार्यक्रम में पीएम मोदी ने एक बार फिर राम और अयोध्या को केंद्र में रखते हुए देशवासियों को दीपावली की शुभकामनाएं दीं।

उन्होंने कहा कि आज अयोध्या दीपों से दिव्य हैं, भावना से भव्य हैं। आज अयोध्यानगरी भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम अध्याय का प्रतिबिंब है। मैं जब यहां आ रहा था तो मेरे मन में भाव, भावनाओं और भावुकता की लहर उठ रही थी।

मैं सोच रहा था कि जब 14 वर्ष के वनवास के बाद प्रभु श्रीराम अयोध्या आए होंगे तो अयोध्या कैसे सजी होगी, कैसे संवरी होगी। हमने त्रेता की उस अयोध्या के दर्शन नहीं किए, लेकिन प्रभु राम के आशीर्वाद से आज अमृतकाल में अमर अयोध्या की अलौकिकता के साक्षी बन रहे हैं।

उत्सव हमारे जीवन का हिस्सा
पीएम मोदी ने कहा, हम उस सभ्यता और संस्कृति के वाहक हैं पर्व और उत्सव जिनके जीवन का हिस्सा रहे हैं। हमारे यहां जब भी समाज ने कुछ नया किया, हमने एक नया उत्सव रच दिया। सत्य की हर विजय के, असत्य के हर अंत के, मानवीय संदेश को हमने जितनी मजबूती से जीवंत रखा, इसमें भारत का कोई सानी नहीं है। प्रभु श्रीराम ने रावण के अत्याचार का अंत हजारों वर्ष पूर्व किया था, लेकिन आज उस घटना का एक-एक मानवीय संदेश आध्यात्मिक संदेश एक-एक दीपक के रूप में सतत प्रकाशित होता है।

पीएम ने दीपक के महत्व को बताते हुए कहा कि दीपावली के दीपक हमारे लिए केवल एक वस्तु नहीं हैं, ये भारत के आदर्शों, मूल्यों और दर्शन के जीवंत ऊर्जापुंज हैं। जहां तक नजर जा रही है, ज्योतियों के जगमग प्रकाश का ये प्रभाव रात के ललाट पर रश्मियों का ये विस्तार भारत के मूलमंत्र सत्यमेव जयते की उद्घोषणा है। ये उद्घोषणा है हमारे उपनिषद वाक्यों की, सत्यमेव जयते, नानृतम् सत्येन पन्था विततो देवयानः अर्थात जीत सत्य की ही होती है।

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ये उद्घोषणा है हमारे ऋषि वाक्यों की…रामो राजमणि सदा विजयते, अर्थात विजय हमेशा राम रूपी सदाचार की होती है, रावण रूपी दुराचार की नहीं। तभी तो हमारे ऋषियों ने भौतिक दीपक में भी चेतन ऊर्जा के दर्शन करते हुए कहा था…दीपो ज्योति परब्रह्म, दीपो ज्योति जनार्दनः अर्थात दीप ज्योति ब्रह्म का स्वरूप है। मुझे पूर्व विश्वास है ये आध्यात्मिक प्रकाश भारत के पुनरोत्थान का पथ प्रदर्शन करेगा।
ये दया और करुणा का प्रकाश है
पीएम ने आगे कहा, आज इस पावन अवसर पर जगमगाते हुए इन लाखों दीयों की रोशनी में देशवासियों को एक और बात याद दिलाना चाहता हूं। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है कि भगवान राम पूरे विश्व को प्रकाश देने वाले हैं। वो पूरे विश्व के लिए एक ज्योतिपुंज की तरह हैं। ये प्रकाश दया और करुणा का प्रकाश है। ये प्रकाश है मानवता और मर्यादा का। ये प्रकाश है समभाव और ममभाव का। ये प्रकाश है सबके साथ का। ये प्रकाश है सबको साथ लेकर चलने का। मुझे याद है बरसों पहले लड़कपन में गुजराती में दीपक पर एक कविता लिखी थी जिसका शीर्षक था दिया। उसकी कुछ लाइनें याद आ रही हैं। मैंने लिखा था, दिया आशा भी देता है और दिया ऊष्मा भी देता है। दिया आग भी देता है और दिया आराम भी देता है। उगते सूरज को तो हर कोई पूजता है, लेकिन दिया अंधेरी शाम में भी साथ देता है। दिया स्वंय जलता है और अंधेरे को भी जलाता है। दिया मनुष्य के मन में समर्पण का भाव लाता है। हम स्वयं जलते हैं, स्वयं तपते हैं, स्वयं खपते हैं लेकिन जब सिद्धि का प्रकाश पैदा होता है तो हम उसे निष्काम भाव से पूरे संसार के लिए बिखेर देते हैं। जब हम स्वार्थ से ऊपर उठकर परमार्थ की यात्रा करते हैं तब हम सर्वसमावेश का संकल्प अपने आप समाहित हो जाता है। जब हमारे संकल्पों की सिद्धि होती है तो हम कहते हैं कि ये सिद्धि मेरे लिए नहीं है ये मानव कल्याण के लिए है। दीप से दीपावली तक यही भारत का दर्शन है, यही चिंतन है, यही भारत की चिरंतन संस्कृति है।

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