अधिकतर लोग नए साल में अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने का संकल्प लेते हैं, पर इस संकल्प को पूरा करना उनके लिए काफी बड़ा कदम होता है। बहुत से लोग तो शुरुआती दिनों में ही हार मान लेते हैं लेकिन आपको ये समझने की जरूरत है कि बस थोड़ी सी योजना और सही दिशा में काम करने से ही इस संकल्प को पूरा किया जा सकता है।
अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो बिना सोचे-समझे काफी पैसे खर्च कर देते हैं तो अब परेशान न हों। हमारे द्वारा बताए गए कुछ आसान टिप्स को अपनाकर आप भी बिना किसी तनाव के पैसे बचाना शुरू कर सकते हैं। तो बस इस साल जनवरी से ही इन उपायों को फॉलो करना शुरू करें, ताकि आपके बैंक खाते में जमा होने वाली राशि लगातार बढ़ती जाए और आपको आने वाले दिनों में वित्तीय सुरक्षा महसूस हो।
सबसे पहले बनाएं बजट
साल शुरू होने से पहले सबसे पहले ये तय करें कि सैलरी आते ही आपको बजट बनाना है। इस बजट बनाने की शुरुआत जनवरी के महीने से ही करें। अपनी आय और खर्च का हिसाब रखें, ताकि पता चले कहां कटौती की जा सकती है। बजट बनाने के बाद जो पैसे बच रहे हैं उन्हें किसी दूसरे खाते में सेव करें।
जनवरी से करें निवेश की शुरुआत
साल नया है तो नयी सेविंग की शुरुआत करें। नये साल में छोटी-छोटी रकम को निवेश करने की आदत डालें। आप म्यूचुअल फंड्स, पीपीएफ, या फिक्स्ड डिपॉजिट जैसी चीजों में निवेश कर सकते हैं। आप चाहें तो थोड़ा बहुत पैसा शेयर मार्केट में भी लगा सकते हैं। हर दो से तीन महीने में गोल्ड भी आप खरीद सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल से बचें
ये गलती ज्यादातर युवा लोग करते हैं। वो अपने खर्चे के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर लेते हैं और फिर अगले महीने उसको ब्याज के साथ चुकाते हैं। इसलिए नये साल में ये फैसला करें कि क्रेडिट कार्ड का ज्यादा इस्तेमाल न हो। जब तक बेहद जरूरी न हो, तब तक क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल न करें।
ऑनलाइन शॉपिंग से बचें
आज के समय में ग्रॉसरी से लेकर सोना चांदी तक ऑनलाइन खरीदी जा सकती है। ऐसे में आप ये फैसला लें कि ऑनलाइन शॉपिंग करने से बचेंगे। ऑनलाइन डिस्काउंट्स और ऑफर्स देखकर अधिक खरीदारी करने से बचें। जरूरत से ज्यादा सामान खरीदना बचत के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे सबसे ज्यादा पैसे खर्च होते हैं।
आखिर में सेल्फ ऑडिट है जरूरी
महीने के अंत में एक बार अपनी खर्चों की समीक्षा करें। जानें कि कहां अधिक खर्च हो रहा है और कहां कम किया जा सकता है। सेल्फ ऑडिट के बाद आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कहां आपने पैसे ज्यादा खर्च किए हैं और कौन से खर्चों को रोका जा सकता है।







