Attacks: पिटबुल हमले पर HC सख्त, केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस, 4 सप्ताह में जवाब तलब

Spread the love

 

दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 नवंबर को पिटबुल कुत्ते के हमले में 6 साल के मासूम के घायल होने पर सख्त रवैया अपनाया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाव मांगा है।

कोर्ट ने खतरनाक कुत्तों की नस्लों के आयात, व्यापार, बिक्री, प्रजनन और पालन-पोषण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर भी गंभीरता दिखाई है। घायल बच्चे के पिता दिनेश कुमार रॉय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 25 लाख रुपये मुआवजे के साथ-साथ पिटबुल सहित 24 खतरनाक नस्लों पर स्थायी प्रतिबंध की मांग की है। याचिका में कहा कि उसी पिटबुल ने पहले भी कई बच्चों और बड़ों पर हमला किया था और इसकी शिकायतें पहले से दर्ज थीं, लेकिन न तो पुलिस और न ही नगर निगम ने कोई कार्रवाई की।

 

यह है मामला
23 नवंबर को बच्चा अपने घर के बाहर खेल रहा था। अचानक पिटबुल ने उस पर हमला कर उसका कान काट लिया और सड़क पर घसीटते हुए ले गया। बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया और उसे तुरंत सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। याचिकाकर्ता के वकील अवध बिहारी कौशिक ने कोर्ट को बताया कि मई 2024 में केंद्र सरकार ने 24 खतरनाक कुत्तों की नस्लों पर प्रतिबंध के लिए सुझाव मांगे थे, लेकिन नौ महीने बीतने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि चूंकि वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से है, इसलिए सफदरजंग में उसके बच्चे का सम्पूर्ण इलाज निःशुल्क किया जाए।

लापरवाही पर दिल्ली पुलिस को फटकारा
2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की जांच को चयनात्मक और खराब करार देते हुए आलोचना की है। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की एकलपीठ ने घोंडा क्षेत्र में मोहम्मद नासिर पर गोली चलाने के मामले में पुलिस की लापरवाही पर सवाल उठाए। अदालत ने कहा कि पुलिस ने घायलों के बयान दर्ज न करने और असली अपराधियों को बचाने जैसे गंभीर दोष किए हैं। मामला घोंडा में दंगों के दौरान मोहम्मद नासिर को गोली लगने से जुड़ा है। मजिस्ट्रेट ने इस घटना के लिए अलग से एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। अदालत का कहना था कि यह घटना पहले से दर्ज सामान्य एफआईआर के दायरे में आ सकती है। पुलिस ने आरोपी नरेश त्यागी को क्लीन चिट दे दी, यह दावा करते हुए कि वे दिल्ली में मौजूद ही नहीं थे।

नीतियों की निगरानी के लिए याचिका शुरू
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में दोषियों की माफी (रेमिशन) और समयपूर्व रिहाई से संबंधित नीतियों के कार्यान्वयन की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए कार्यवाही शुरू की। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों के अनुपालन में यह स्वत: संज्ञान याचिका शुरू की, जो पॉलिसी स्ट्रेटेजी फॉर ग्रांट ऑफ बेल मामले से जुड़े हैं।

और पढ़े  नवी हसन ने लड्डू गोपाल को लूटा- भगवान की मूर्ति चुराई, निकाल लिए सोने के झुमके,CCTV में कैद हुई वारदात

 

  • 4 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश स्वत: संज्ञान रिट याचिका दर्ज करें और फिर एक डिवीजन बेंच गठित करें, जो संबंधित राज्यों की माफी और समयपूर्व रिहाई नीतियों के कार्यान्वयन की निगरानी और पर्यवेक्षण करे। इस संबंध में प्रगति की जानकारी हाईकोर्ट द्वारा शपथ-पत्र के माध्यम से दी जाए।

Spread the love
  • Related Posts

    नवी हसन ने लड्डू गोपाल को लूटा- भगवान की मूर्ति चुराई, निकाल लिए सोने के झुमके,CCTV में कैद हुई वारदात

    Spread the love

    Spread the loveदिल्ली के डाबड़ी इलाके में नशे की लत को पूरा करने के लिए एक बदमाश ने मंदिर को निशाना बनाया। बदमाश ने हनुमान मंदिर में सेंध लगाई और…


    Spread the love

    राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष- PM, गृह मंत्री से लेकर सीएम तक ने दी नए कार्यकारी अध्यक्ष को बधाई, जानिए किसने क्या कहा?

    Spread the love

    Spread the love   नीतीश सरकार में मंत्री और पांच बार के विधायक नितिन नवीन को भाजपा का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाए बिहार भाजपा के कार्यालयों में जश्न का माहौल है।…


    Spread the love