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कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट), जो देशभर के 9 करोड़ से अधिक छोटे व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करता है, ने 16 से 18 मई 2025 तक नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश के वृंदावन में एक निर्णायक तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा की है। इसका मकसद विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियां, जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ट, ब्लिंकिट, स्विगी, इंस्टामार्ट, जेप्टो और अन्य इसी तरह की प्रमुख कॉमर्स कंपनियों की कथित अनैतिक व अवैध प्रथाओं के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रणनीति बनाना और उसे सक्रिय करना है। कैट का कहना है कि ये कंपनियां, एफडीआई का दुरुपयोग कर रही हैं तो वहीं नियामक उल्लंघन करने से भी पीछे नहीं हट रही हैं। इन कंपनियों की ‘डार्क स्टोर्स’ जैसी नीतियां, देशभर में 3 करोड़ से अधिक किराना दुकानों की आजीविका खतरे में डाल रही हैं। इसके चलते देशभर के 9 करोड़ व्यापारी सड़कों पर उतरने की योजना बना रहे हैं। यह विरोध सभी राज्यों में किया जाएगा।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा, इस सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों से 100 से अधिक शीर्ष व्यापारिक नेता भाग लेंगे। उन्होंने ई कॉमर्स कंपनियों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। कैट का आरोप है कि इन कंपनियों ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) का उपयोग बुनियादी ढांचे के विकास के बजाए घाटे की भरपाई और चुनिंदा विक्रेताओं के माध्यम से गहरी छूट देने के लिए किया है, जो एफडीआई मानदंडों का उल्लंघन है। ये प्लेटफॉर्म ‘प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002’ का उल्लंघन करते हुए विशेष समझौतों में प्रवेश कर रहे हैं। मूल्य निर्धारण में हेरफेर कर रहे हैं। उपभोक्ताओं से महत्वपूर्ण जानकारी छिपा रहे हैं, जिससे बाजार प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता विकल्प सीमित हो रहे हैं। देश भर में डिलीवरी के लिए कई ‘डार्क स्टोर्स’ का संचालन एफडीआई नीतियों का सीधा उल्लंघन है, जो ई-कॉमर्स संस्थाओं को इन्वेंट्री बनाए रखने और खुदरा आउटलेट स्थापित करने से प्रतिबंधित करती हैं।
भरतिया के मुताबिक, ये कॉमर्स प्लेटफॉर्म आधुनिक युग की ईस्ट इंडिया कंपनी से कम नहीं हैं। इनका उद्देश्य छोटे किराना और खुदरा दुकानों को समाप्त करके बाजार पर प्रभुत्व स्थापित करना है, जिससे भारत के 3 करोड़ से अधिक किराना दुकानों की आजीविका खतरे में है। कैट के चेयरमैन बृज मोहन अग्रवाल ने बताया कि कैट ने पहले ही एक व्यापक श्वेत पत्र प्रस्तुत किया है, जिसमें इन चिंताओं को उजागर किया गया है। तत्काल नियामक हस्तक्षेप की मांग की गई है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स का जोर है कि इन विदेशी वित्तपोषित कंपनियों की अनियंत्रित वृद्धि, भारत के छोटे खुदरा पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है।
इसी के चलते 16 मई को नई दिल्ली में एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसके बाद 17 एवं 18 मई को वृंदावन में एक चिंतन शिविर आयोजित होगा। इसमें देश भर के व्यापारिक नेता इन कंपनियों के खिलाफ आंदोलनात्मक कार्यक्रम तय करेंगे, जो देश के 500 से अधिक शहरों में आयोजित किए जाएंगे। आंदोलन की रूपरेखा चिंतन शिविर में तय की जाएगी। सम्मेलन का समापन एक एकीकृत कार्रवाई की अपील के साथ होगा, जिसमें इन ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियों से या तो भारतीय कानूनों और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं का पालन करने या भारतीय बाजार से बाहर निकलने की मांग की जाएगी।