
अयोध्या जगदगुरू रामानुजाचार्य डाक्टर राघवाचार्य की 7 दिवसीय भागवत कथा रामलला सदन में आज से शुरू हुई। डाक्टर राघवाचार्य ने कहा कि श्रीमद भागवत भगवान की आरती है। यह दिव्य ज्ञान प्रदान कर जीव को मुक्त करता है। इस कथा का सुनने वाला जीव ईश्वर की विशेष कृपा को प्राप्त करता है।
उन्होंने कहा कि कथा रहेगी तो हमारे पास व्यथा नहीं आएगी और जब तक व्यथा रहेगी जो जीवन में कथा कैसे आएगी। संसार में न कुछ पाने का मोल है न कुछ खोने का। सनकादिक कहते हैं कि जैसे अज्ञानी प्राणी का धन चला जाय तो वह परेशान हो जाता है। वे नारद जी से पूछते हैं कि तुम्हारे जैसा ज्ञानी संत उदास क्यों हैं।
नारद जी ने कहा हमने धरा धाम पर अनेक तीर्थों का भ्रमण किया
इस पर नारद जी ने कहा हमने धरा धाम पर अनेक तीर्थों का भ्रमण किया। पुष्कर भी गए, नैमिष भी गए। ब्रह्मा जी का अकेला मंदिर पुष्कर में हैं। पुष्कर तीर्थों के पुरोहित हैं और प्रयागराज राजा हैं। श्रीरंगम में रंगनाथ भगवान का दर्शन किया पर उनको कहीं शांति नहीं मिली। तीर्थों में भी अनाचारी लोगों के निवास करने से उनका महत्व घटने लगा।
विकास के नाम पर तीर्थों पर जो रहा है वह सब ठीक नहीं हैं। तीर्थ की शुचिता बनी रहनी चाहिए। तीर्थ में जाने से पहले अपना आचरण शुद्ध कर लेने पर ही जीव को तीर्थ का लाभ मिलता है। नारद जहां गए हर जगह उनको कलियुग का प्रभाव दिखा। अंत में वे वृंदावन गए और यमुना के तट पर देखा कि एक स्त्री है और कई लोग उसकी सेवा कर रहे हैं। उस स्त्री ने नारद जी को रोक कर अपनी चिंता दूर करने के लिए कहा। इस पर नारद
भक्ति ने कहा कि मेरे दोनों पुत्र बूढ़े और शक्तिहीन हो गए हैं, नारद जी आप मेरे दुख को दूर करिए
जगदगुरू रामानुजाचार्य डाक्टर राघवाचार्य कि उस स्त्री ने कहा कि मैं भक्ति हूं। जिस भक्ति से पापियों का उद्धार हो जाता है। वह भक्ति मैं हूं। भक्ति ने कहा कि मेरा जन्म दक्षिण भारत अर्थात द्रविण देश में हुई। और कर्नाटक में मैं बड़ी हो गई। महाराष्ट्र में प्रचार हुआ। गुजरात में आकर मैं बूढ़ी हो गई। मेरे दो पुत्र हैं ज्ञान और वैराग्य। यह दोनों पुत्र बूढ़े और शक्तिहीन हो गए हैं। आप मेरे दुख को दूर करिए।