भगवान राम को अर्पित करने के लिए भेजा गया काबुल नदी का जल ।

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देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को अफगानिस्तान के काबुल शहर की एक लड़की ने भगवान राम को अर्पित करने के लिए काबुल नदी का जल भेजा गया।उसकी इच्छा थी राम मंदिर निर्माण स्थल पर काबुल नदी का जल छिड़का जाए।वही जल लेकर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आज वैदिक मंत्रों के बीच पूजा अर्चन कर राम मंदिर निर्माण स्थल पर काबुल का जल छिड़का गया।जिसको लेकर अयोध्या सन्तो ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। श्री रामवल्लभा कुंज के अधिकारी महंत राजकुमार दास का कहना है. भारत की जो पावन भूमि है। आर्यावर्त में हम लोग है।और काबुल ,कंधार अफगानिस्तान वह अखंड भारत का हिस्सा रहा हैं।आज परिस्थितियां बदल गई जो हमारे ऐतिहासिक और पौराणिक साक्ष्य मिलते हैं। महापुरुषों द्वारा कहा गया है।अखंड भारत का हिस्सा था हम लोग को अति प्रसन्नता हुई।कि वहां के एक कन्या जो आतंकवाद से पीड़ित है। उसने भारत के और रामलला के चरणों में अपनी निष्ठा को दिखाते हुए काबुल का जल भेजा है हम हृदय से उस कन्या का स्वागत करते हैं।तो वही प्रदेश के आदरणीय मुख्यमंत्री जी को जिन्होंने दीपोत्सव के पूर्व ही उस जल को ला करके भगवान श्री रामलला के दिव्य भव्य मंदिर निर्माण मैं समर्पित किया है।ऐसा पावन अवसर आदरणीय मुख्यमंत्री जी को और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी को हृदय से साधुवाद हैं।अयोध्या के साधु समाज की ओर से बधाई दी है।तो वही दूसरी ओर हरीधाम मंदिर के जगतगुरु रामदिनेश आचार्य का कहना है कि काबुल अफगानिस्तान का शहर है उसका पुराना नाम कंधार है कंधार से पहले उसका नाम गंधार था जहां महाभारत में शकुनी राजा हुआ करता था। एक प्रकार से देखा जाए तो भौगोलिक दृष्टि से तो कंधार अफगानिस्तान भारत का ही एक हिस्सा था। लेकिन आज वहां सबसे ज्यादा मुस्लिम रहते हैं और कई प्रकार की प्रजातियां रहती है वही कहा जिस प्रकार से भगवान श्री राम के प्रति आस्था बढ़ रही है केवल भारत ही नहीं अब मुस्लिम राज भी भगवान श्रीराम पर मर्यादा और उनके विचारों से अभिभूत हो करके।काबुल से जल आया है एक संस्कृति का सममिलन है और सरयू का जल और काबुल का जल मिलकर के दो संस्कृतियां एक साथ मिली हैं इस दो संस्कृतियों में आने का काम प्रभु श्रीराम ही कर सकते हैं दूसरा कोई और नहीं कर सकता है उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से वह एक पवित्र जल है जो काबुल से आया है।

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