
जिले में सरकारी पैसे की फिजूलखर्ची की जा रही है। ट्रैफिक लाइट के नाम पर करीब दो करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर दिए। जहां जरूरत नहीं थी वहां भी स्ट्रीट लाइटें लगा दी गई। अब पुलिस लोनिवि को पत्र भेजकर कई जगह डिवाइडर हटाने और नई जगह डिवाइडर लगाने की मांग कर रही है। अधिकारियों ने ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए एक प्लान बनाया था। इसमें 13 जगह ट्रैफिक लाइट लगाने की जरूरत बताई गई। शासन स्तर में इसके टेंडर हुए और तीन महीने पहले लाइटें लगा दी गई। लाइट लगाने से पहले लोनिवि से कोई राय नहीं ली गई। हद तो यह है कि कालेज के पास ट्रैफिक लाइटें लगाईं गई वहां लोनिवि ने डिवाइडर को ही बंद कर दिया। ट्रैफिक लाइट लगाने के दौरान न तो जैब्रा क्रासिंग, स्टाप लाइन, साइन बोर्ड लगाए गए। एसपी ट्रैफिक देवेंद्र पिंचा ने बताया कि लोनिवि को जेब्रा क्रासिंग, कई डिवाइडर खोलने, कई जगह दोबारा डिवाइडर लगाने के लिए कहा गया है। इधर लोनिवि के अधिशासी अभियंता अशोक चौधरी ने कहा कि जैब्रा क्रासिंग आदि के लिए 12.5 लाख रुपये की जरूरत है।
सवाल उठ रहे हैं कि ओके होटल, नैनीताल डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक, सुशीला तिवारी अस्पताल के पास, सिंधी चौराहे सहित कई जगह ट्रैफिक लाइट लगाने की आवश्यकता नहीं थी। कई जगह सड़क की चौड़ाई भी इतनी अधिक नहीं है कि वहां पर ट्रैफिक लाइटें लगाई जाएं।
पुलिस भी उठा रही है सवाल
पुलिस के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई ट्रैफिक लाइटों की आवश्यकता नहीं थी। कई ट्रैफिक लाइटें को नहीं शुरू किया जाएगा। जरूरत वाली जगह पर ही ट्रैफिक लाइट का संचालन किया जाएगा।