रीठा साहिब में पहाड़ों के बीच और नदी के किनारे सुशोभित है गुरुद्वारा जिसके दर्शन के लिए हजारों दर्सको की भीड़ लगी रहती है यहां सभी धर्मों के लोग गुरू द्वारे का दर्शन दर्शन करने आते हैं आपको बता दे की इस गुरुद्वारे की स्थापना एक रीठा के पेड़ बताई जाती है जिसमे कड़वे फल आते थे एक बार गुरु नानक जी रीठा साहिब आए थे थके हारे और भूखे थे जैसे ही वो इस पेड़ के छाव में बैठे वैसे रीठा के पेड़ में एक टहनी से मीठे फल और एक ठहनी में कड़वे फल आने लगे इसी पेड़ की वजह से गुरुद्वारे की स्थापना हुई । गुरुद्वारा चारो ओर से पहाड़ों से घिरा है और नदी के किनारे सुशोभित है जिसकी सुंदरता भको की आकर्षित कर देती है यहां सभी धर्मों के लोग आते हैं दर्शकों के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है दर्सक रात में कीर्तन भजन किया करते है।नदी के किनारे होने की वजह से यहां खेती बाडी ओर सब्जी उगाई जाती है जिससे यहां के ग्रामीण को रोजगार मिला है।
चम्पावत : पहाड़ों के बीच और नदी के किनारे सुशोभित है गुरुद्वारा रीठा साहिब
