उत्तराखंड : जल्द ही राज्य के चारधाम रोपवे से जुड़ेंगे, और भी आसान होगा तीर्थयात्रियों का सफर ।

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चारधाम गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ व केदारनाथ मंदिर को रोपवे से जोड़ने की योजना पर काम तेज हो गया है। इसके लिए रेलवे विकास निगम (आरवीएनएल) ने योजना तैयार कर ली है और जल्द ही विशेषज्ञों की टीम प्रारंभिक सर्वेक्षण शुरू कर देगी। चारधाम को रेल लाइन से जोड़ने के लिए आरवीएनएल सर्वेक्षण के साथ भूमि का सीमांकन भी पूरा कर चुका है। योजना के अुनसार गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ व केदारनाथ धाम के टर्मिनल रेल स्टेशन से मंदिर तक रोपवे निर्माण किया जाएगा। साथ ही केबिल कार सहित अन्य साधनों को लेकर अध्ययन किया जाएगा। रेलवे विकास निगम के अनुसार चारधाम को रेल लाइन से जोड़ा जाना है, जिसके लिए भूमि का सर्वेक्षण व सीमांकन कर पीलर स्थापित किए जा चुके हैं। लेकिन, अंतिम रेलवे स्टेशन मंदिरों से 15 से 20 किमी पहले हैं। ऐसे में बदरीनाथ धाम के लिए जोशीमठ से, सोनप्रयाग से केदारनाथ के लिए, मनेरी से गंगोत्री के लिए और बड़कोट-नंदगांव से यमुनोत्री के लिए रोपवे का निर्माण किया जाना है। इन प्रस्तावित रोपवे की लंबाई पांच से दस किमी तक हो सकती है। इस योजना को धरातल पर लाने के लिए आरवीएनएल के आला अधिकारियों की रेल निर्माण व रोपवे निर्माण से जुड़े विशेषज्ञों के साथ पहले चरण की बातचीत भी हो चुकी है।
16 वर्ष से अधर में लटका रोपवे
वर्ष 2005 में रामबाड़ा-केदारनाथ तक साढ़े तीन किमी लंबा रोपवे स्वीकृत किया गया था। उत्तरांचल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी (यूडेक) ने रोपवे निर्माण के लिए सर्वेक्षण कर क्षेत्र का फिजीबिलिटी टेस्ट कराया था। तब, रोपवे निर्माण के लिए 70 करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया था।

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सरकार ने इस कार्य को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में कराने की बात कही थी, जिसके तहत वर्ष 2009 में निविदाएं भी आमंत्रित की गई थी। लेकिन किसी भी कंपनी ने पहल नहीं की।

आपदा के बाद भी प्रदेश स्तर पर तीन बार रोपवे निर्माण की घोषणा हो चुकी है। साथ ही केंद्रीय पर्यटन सचिव द्वारा भी प्रशासन से रोपवे का प्रस्ताव मांगा जा चुका है। लेकिन मामला सर्वेक्षण से आगे नहीं बढ़ पाया है।


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