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आखिर क्यों हो जाते हैं बाघ आदमखोर? ,क्या एकमात्र विकल्प है,आदमखोर हो चुके बाघ को मार देना,आज इसी विषय पर ज़िलाअधिकारी को सौंपा ज्ञापन।।

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नैनीताल
क्यों हो जाते हैं बाघ आदमखोर


माना जाता है कि केवल घायल और वृद्ध बाघ ही आदमखोर बनते हैं। क्योंकि इंसान उनके लिए आसान शिकार होता है। लेकिन अक्सर युवा बाघ भी इंसानों का शिकार करते देखे गए हैं। कई बार बाघ को शारीरिक दिक्कत होती है, या फिर उसके दांत टूटे हुए होते हैं। इस वजह से भी वह इंसानों, बच्चों और मवेशियों को अपना शिकार बनाता है। विशेषज्ञों की माने तो एक हजार में एक से भी कम बाघ आदमखोर बनते हैं। जंगल क्षेत्र के अतिदोहन से और उसके सिकुड़ने की वजह से मांसाहारी जीवों के अलावा अन्य शाकाहारी जीव जैसे हिरन, खरगोश, सेही आदि भी तेजी से विलुप्तिकरण के कगार पर पहुंचते जा रहे हैं, जो बाघों के आहार श्रृंखला में सर्वोपरि स्थान पर हैं, इससे बाघों को भूखों मरने को अभिशापित होना पड़ रहा होता है, जिससे वे मजबूरी में अपनी भूख के शमन के लिए सबसे आसान शिकार मानव शिशु या मानव का शिकार करने को मजबूर होते हैं, यह यथार्थ परक और वैज्ञानिक तथ्यात्मक बात है कि अगर बाघों या अन्य सभी वन्य जीवों को पर्याप्त वनक्षेत्र और आहार सुलभ रहे तो कोई भी माँसाहारी वन्य जीव अपने भोजन के लिए मानव का शिकार व उसकी हत्या नहीं करेगा।

नरभक्षी बन चुके बाघों और बघिनियों को किसी कुशल शिकारी को बुलाकर गोली मारकर हत्या कर देना इस समस्या का कतई समाधान नहीं है। इसका एकमात्र मनुष्योचित, न्यायोचित व समयोचित समाधान तो यही है कि हम वनों के अंधाधुंध विनाश को जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी रोकने की कोशिश करें, उसे पूर्णतः बन्द करें या सीमित मात्रा में आवश्यकतानुसार ही काटें।

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इस देश में यह ढोंग और कुकृत्य जितनी जल्दी हो रुकना ही चाहिए कि एक तरफ हम धूम-धाम से समाचार पत्रों में इस भयंकरतम् गर्मी और लू में वृक्षारोपण करने का छद्म कृत्य करते हुए अरबों-खरबों रूपयों को बर्बाद करने का बेशर्म कृत्य करते रहें, साथ-साथ लाखों शिशु पौधों को मौत के घाट उतारकर, तमाम प्रिंट और दृश्य तथा सोशल मिडिया में अपना फोटो और विडियोज वायरल करते रहें, दूसरी तरफ लाखों-करोड़ों सालों से प्रकृति द्वारा संजोए और संरक्षित किए गए लाखों पेड़ों सहित हजारों तरह के जीव-जंतुओं यथा भृगों, तितलियों, चमगादड़ों, मधुमक्खियों, रंग-बिरंगे परिदों, हिरनों, खरहों, लोमड़ियों, सेहियों, भालुओं, बाघों और हाथियों आदि के आवासीय परिक्षेत्र को निर्दयता व क्रूरतापूर्वक विनष्ट कर दें।

आज ज़िलाअधिकारी महोदय से साथियों संग मिलकर टाइगर की जान बचाने हेतु बात रखी व एक *टाइगर आदमखोर क्यू होता है व उसको ठीक किया जा सकता है पर चर्चा कर ज्ञापन सौंपा जिसकी प्रतिलिपि माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार , प्रधानमंत्री भारत सरकार, केंद्रीय पशु कल्याण मंत्री जी व कंजरवेटर उत्तराखंड वन रामनगर डिवीजन को फ़ैक्स की ! ज़िलाअधिकारी जी ने भरोसा दिलाया की उक्त बेज़ुबान की जान की रक्षा भारत सरकार की मुहिम *save the tiger के अंतर्गत करेंगे व तत्काल डी॰एफ़॰ओ॰ नैनीताल जी को अवगत कराया गया। मेरे साथ छोटे भाई सूरज जोशी , सुरेश जोशी , अभिषेक पोखरिया, सोनू , पंकज , पवन , भानु कबदवाल, बालम बिष्ट व अन्य पशु प्रेमी मौजूद थे

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