उत्तराखंड- पिछले 10 साल में बिजली दरों में लगातार तीसरी बढ़ोतरी |

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उत्तराखंड- पिछले 10 साल में बिजली दरों में लगातार तीसरी बढ़ोतरी |

प्रदेश में पिछले 10 साल में इस साल बिजली दरों में लगातार तीसरी बड़ी बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले 2015 में सात प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं, 2009 में सर्वाधिक 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी।

यूजेवीएनएल की बिजली भी सात फीसदी महंगी

उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) जो बिजली यूपीसीएल को देता है, उसके दामों में भी 7.14 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। यूजेवीएनएल ने 24.84 प्रतिशत की मांग रखी थी। नियामक आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद के मुताबिक, नौ बड़े विद्युत गृहों छिबरो, खोदरी, ढकरानी, ढालीपुर, कुल्हाल, चीला, रामगंगा, खटीमा, मनेरी भाली-1 के लिए यूजेवीएनएल ने वार्षिक स्थिर प्रभार 672.85 करोड़ मांगा था, जिसके सापेक्ष नियामक आयोग ने 576.63 करोड़ दिए। मनेरी भाली-2 के लिए यूजेवीएनएल ने 240.26 करोड़ की मांग की थी, जिसके सापेक्ष 207.05 करोड़ मिले। कुल मिलाकर यूजेवीएनएल की 24.84 प्रतिशत की मांग के सापेक्ष 7.14 प्रतिशत बढ़ोतरी को ही मंजूरी मिली है। वहीं, यूपीसीएल को इस वित्तीय वर्ष में यूजेवीएनएल के 126.14 करोड़ लौटाने को भी कहा गया है। वह 12 समान किस्तों में लौटा सकता है।

पिटकुल ने मांगा 607, मिले 364 करोड़ रुपये

पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) ने इस वित्तीय वर्ष में वार्षिक पारेषण प्रभार के लिए कुल 607.24 करोड़ रुपये की मांग रखी थी, जिसके सापेक्ष आयोग ने 364.37 को मंजूरी दी है। कुल मांग 71.43 प्रतिशत बढ़ोतरी के सापेक्ष 2.86 प्रतिशत की बढ़ोतरी को ही आयोग ने मंजूरी दी है। वहीं, पिटकुल ने पारेषण प्रभार के अतिरिक्त 300 करोड़ 42 लाख रुपये की प्रारंभिक इक्विटी के लिए लाभांश व वित्तयी वर्ष 2024-25 के लिए 573.21 करोड़ की मांग शासन को पावर डेवलपमेंट फंड अंशदान के रूप में इक्विटी के तौर पर मांगी थी, जिसे नियामक आयोग ने नकार दिया है।

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