प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार देश के अंतिम गांव माणा पहुंचे। वे यहां न केवल पहली बार आए लेकिन पहली जनसभा भी की। सीमांत गांव माणा में कनेक्टिविटी परियोजनाओं का शिलान्यास करने के बाद उन्होंने जनसभा को संबोधित किया।
पीएम का भाषण शुरू होते ही इस दौरन पूरा पांडाल मोदी के नारों से गुंजायमान हो गया। मोदी को अपने बीच देखकर सीमांत क्षेत्र के ग्रामीणों का उत्साह चरम पर रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभा शुरू होने और समाप्त होने पर चार बार जनता को झुककर प्रणाम किया। माणा गांव से मात्र 56 किमी की दूरी पर तिब्बत (चीन) सीमा है। इससे गांव का सामरिक महत्व समझा जा सकता है। मोदी ने भी अपने संबोधन में कहा कि माणा गांव से सीमा क्षेत्र तक पर्यटन को बढ़ावा देंगे। उन्होंने माणा के ग्रामीणों की भी जमकर तारीफ की।
मोदी की जनसभा के दौरान ग्रामीण काफी उत्साहित नजर आए। लोग सभा के दौरान लगातार मोदी के नारे लगाते रहे। मोदी को सुनने के लिए बदरीनाथ के दर्शनों को आए तीर्थयात्री भी पहुंचे थे। राजस्थान से अपने चार रिश्तेदारों के साथ बदरीनाथ के दर्शनों को आए भावेश ने कहा कि मोदी के भाषण सुनने के बाद वे बदरीनाथ के दर्शनों को जाएंगे। मंच पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंगवस्त्र और भगवान बदरीनाथ का प्रसाद भेंट किया। उच्च शिक्षामंत्री डॉ. धनसिंह रावत ने मोदी को माणा गांव की महिलाओं द्वारा बनाए ऊनी पंखी (शॉल) भेंट की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने बीच पाकर माणा गांव के ग्रामीण गदगद हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह कभी न भूलने वाले पल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने जनजाति की सुध ली। शुक्रवार को प्रधानमंत्री की जनसभा में प्रतिभाग करने के लिए नीती घाटी के साथ ही जनपद के अन्य निचले गांवों के ग्रामीण सुबह चार बजे ही अपने घरों से निकल गए थे।
ग्रामीण प्रधानमंत्री की एक झलक पाने को बेताब दिखे। मलारी गांव की बसंती देवी और लाता की रुपा देवी का कहना है कि वे तड़के चार बजे से ही अपने घरों से माणा गांव के लिए निकल गए थे। पीएम मोदी को करीब से देखने की इच्छा थी, जो आज पूरी हो गई है। प्रधानमंत्री के दिल में सीमांत गांवों के विकास की थीम है, वे सीमांत क्षेत्र के लोगों का दर्द समझते हैं।