उत्तराखंड में दीपावली के 11 दिन बाद लोक पर्व इगास मनाया जाता है। प्रदेश में इगास पर अवकाश घोषित करने की लगातार मांग उठ रही थी। इस कड़ी में गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इगास पर अवकाश की घोषणा की। उन्होंने गढ़वाली बोली में ट्वीट कर कहा कि उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति के प्रतीक लोकपर्व इगास की अब छुट्टी रहेगी। सरकार का उद्देश्य है कि सभी इस त्योहार को धूमधाम से मनाएं और नई पीढ़ी को भी इस इस त्योहार से जोड़ें।
प्रदेश में बूढ़ी दीवाली यानी इगास पर्व पर सार्वजनिक अवकाश रहेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर लोक पर्व इगास पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की। हालांकि अवकाश 14 नवंबर को होगा अथवा 15 नवंबर को इसे लेकर अभी संशय बना हुआ है।
क्या है इगास पर्व
उत्तराखंड में बग्वाल, इगास मनाने की परंपरा है। दीपावली को यहां बग्वाल कहा जाता है, जबकि बग्वाल के 11 दिन बाद एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे इगास कहते हैं। पहाड़ की लोकसंस्कृति से जुड़े इगास पर्व के दिन घरों की साफ-सफाई के बाद मीठे पकवान बनाए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। साथ ही गाय व बैलों की पूजा की जाती है। शाम के वक्त गांव के किसी खाली खेत अथवा खलिहान में नृत्य के साथ भैलो खेला जाता है। भैलो एक प्रकार की मशाल होती है, जिसे नृत्य के दौरान घुमाया जाता है।