पर्वतारोही श्वेता और अंकित चोटी फतह करने के मुश्किल डगर पर गए पर जब नीचे उतरे तो दोनों एक साथ हाथ पकड़कर एक-दूसरे का जीवनभर हाथ न छोड़ने के वादे के साथ।
यह कहानी फिल्मी नहीं बल्कि दो पर्वतारोहियों की है। जब दिल्ली की श्वेता ने देहरादून के पर्वतारोही अंकित को ऊंची चाेटी फतह करने का अपना सपना बताया तो अंकित ने उन्हें अपने जोखिम पर चोटी को फतह कराया। पर्वतारोहियों की इस जोड़ी ने किलिमंजारो चोटी पर सगाई की और दो दिसंबर को शिव-पावर्ती के विवाहस्थल त्रियुगीनारायण में विवाह बंधन में बंध गए। दिल्ली की गौतम कॉलोनी निवासी श्वेता (32) का ट्रैकिंग पैशन था लेकिन बचपन में एक बीमारी से उनकी आंखों की रोशनी चली गई मगर यह अंधेरा उनके हौसले को कम नहीं कर सका। ट्रैकिंग का इतना जुनून था कि चोटी फतह करने की हर संभावना टटोली।
दिव्यांग होने के कारण लोगों ने साथ नहीं दिया न ही इससे संबंधित प्रशिक्षण ले पाईं। फिर एक दिन श्वेता देहरादून में क्लेमेंटटाउन निवासी पर्वतारोही अंकित (33) से दून में ही मिलीं। श्वेता ने अंकित को चोटी फतह करने का अपना सपना बताया तो उन्होंने हामी भर दी। अंकित ने श्वेता को पहले छोटे-छोटे कई ट्रैक पार कराए इसके बाद बीती 17 जुलाई को कठिन रास्तों को पार कर जो जोंगो चोटी को फतह किया और पहली दिव्यांग महिला पर्वतारोही का रिकॉर्ड अपने नाम किया।
इसके बाद 19 सितंबर को किलिमंजारो चोटी फतह की। इसी चोटी को फतह करने के दौरान सगाई भी कर ली। ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय जोड़े भी बने। ग्लेशियर, दुर्गम और कठिन रास्तों को पार कर अब यह पर्वतारोही की जोड़ी दो दिसंबर को शिव-पावर्ती के विवाहस्थल त्रियुगीनारायण में विवाह बंधन में बंध गई।
अंकित को जहां श्वेता का अपने सपने को पूरा करने का जुनून पसंद आया तो श्वेता को भी ऐसा जीवन साथी चाहिए था जो उसे उसी रूप में स्वीकार करे जैसी वह हैं। इसी के साथ अंकित और श्वेता लोगों के लिए भी प्रेरणा बन गए।









