
अस्पताल ही मरीजों के भरोसे चल रहा हो..। शायद नहीं…तो यहां रामनगर सरकारी अस्पताल में ऐसा ही विचित्र घटित हो रहा है, ऐसा कि मरीज न आएं तो शायद अस्पताल ही बंद करना पड़ जाए। इस अस्पताल के चलने के लिए यहां बीमारों का पहुंचना जरूरी है। इसलिए कि मरीजों के ओपीडी पर्चे के पैसे से ही फिलहाल अस्पताल के खर्चे चल रहे हैं, इसी पैसे से अस्पताल में दवा आदि की उधारी भी चुकाई जा रही है। अस्पताल हर दिन ओपीडी से मिलने वाले 10 हजार रुपयों की कृपा पर चल रहा है।
रामनगर का संयुक्त चिकित्सालय एक अप्रैल से पीपीपी मोड से हटकर स्वास्थ्य विभाग के पास आया। पीपीपी मोड में अस्पताल को दो करोड़ रुपये महीना मिल जाता था। पीपीपी मोड से हटा तो अस्पताल के स्वास्थ्य पर ही बड़ा संकट खड़ा हो गया। दोबारा सरकारी होते ही अस्पताल को पैसे लाले पड़ गए। एक अप्रैल को दवा, पैथोलॉजी किट समेत और जरूरी चीजों के लिए अस्पताल प्रशासन ने विभाग से दो करोड़ रुपये मांगे। जून जाने को है, अब तक दो करोड़ तो क्या, व्यवस्थाएं चलाने के लिए धेला भी नहीं मिला। यह हाल अस्पताल के सरकारी होने के बाद का है।
अब दवाएं तो मरीजों को देनी ही हैं, लिहाजा मेडिकल स्टोर से उधारी में दवा समेत जरूरी सामान मंगाया जा रहा है। सारा पैसे एक साथ नहीं दिया जा सकता, इसलिए ओपीडी से हर दिन मिल रहे दस हजार रुपये से ही धीरे-धीरे उधारी चुकाई जा रही है। हाल यह है कि ज्यादा उधारी के चलते मेडिकल स्टोर संचालक अब अस्पताल प्रशासन के चक्कर काटने लगे हैं।
ओपीडी के अलावा कोई बजट नहीं
रामनगर संयुक्त चिकित्सालय में प्रतिदिन चार सौ से पांच सौ की ओपीडी होती है। इससे प्रतिदिन लगभग 10 हजार रुपये मिलते हैं। इसे अस्पताल के फंड में जमा किया जाता है। मौजूदा समय में अस्पताल के पास कोई अतिरिक्त बजट नहीं है, लिहाजा इसी पैसे से उधारी का भुगतान किया जा रहा है।
एक अप्रैल से अब तक रामनगर अस्पताल को संचालित करने के लिए बजट नहीं देने दिया गया है। इससे सरकार की मनसा स्पष्ट है कि सरकार अस्पताल को फिर से पीपीपी मोड पर देना चाहती है। जल्द ही अस्पताल को सभी डॉक्टर और बजट नहीं मिला तो सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा।
– संजय नेगी, पूर्व ब्लॉक प्रमुख, रामनगर।
एक अप्रैल से अस्पताल चलाने के लिए दो करोड़ का प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजा है। फिलहाल ओपीडी के पैसे से सामान का भुगतान किया जा रहा है। बजट नहीं मिलने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
– डॉ. विनोद टम्टा, सीएमएस, रामनगर।
बजट के लिए रामनगर अस्पताल की ओर से प्रस्ताव मिला है। जल्द ही बजट आवंटित कर दिया जाएगा।
– डॉ. हरीश पंत, सीएमओ नैनीताल