पहाड़ से पलायन की एक वजह सड़क सुविधा का न होना भी है। इसी के चलते गांव के गांव खाली हो गए क्योंकि मरीजों को अस्पताल पहुंचाना हो, बच्चों कोे स्कूल जाना हो या बाजार से राशन आदि लाना हो, उन्हें इन कामों के लिए कई किमी पैदल चलना पड़ता है। लोग सड़क के लिए गुहार-लगाते लगाते थक जाते हैं तो फिर पलायन उनकी विवशता बन जाती है।
इन सबके बीच जिले के मटेला गांव के लोगों ने प्रशासन और सरकार को आईना दिखाते हुए अपने प्रयास से गांव के लिए सड़क बनाने का बीड़ा उठा लिया है। यह गांव अल्मोड़ा से करीब 15 किलोमीटर दूर ताड़ीखेत ब्लॉक और रानीखेत तहसील में है। ग्रामीणों ने सड़क बनाने की पहल की तो विधायक प्रमोद नैनवाल भी सहयोग के लिए आगे बढ़े हैं। विधायक ने बताया कि वह अपनी निधि से ग्रामीणों की मदद करेंगे। उन्होंने ग्रामीणों के प्रयासों की सराहना भी की।
ऐसे हुई पहल
ग्रामीणों ने देश-विदेश के कई शहरों में रहने वाले अपने बिरादरों को व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ा। उनसे सड़क के लिए सहयोग करने की अपील की। अपील पर गांव के सभी लोग आगे आए। कुछ ने तो सड़क निर्माण के लिए नौकरी तक छोड़ दी और गांव में ही जम गए। सभी के सामूहिक प्रयास से अब सड़क बनने लगी है। ग्रामीण भी उत्साहित हैं और अन्य लोगों को भी गांव के विकास के लिए जोड़ने लगे हैं।
50 साल पहले बनी थी गांव से 6 किमी दूर तक सड़क
ग्रामीण मोहन सिंह अधिकारी ने बताया कि करीब पचास साल पहले गांव से करीब छह किलोमीटर दूर तक सड़क बनी थी। बीस साल पहले गांव तक पक्की सड़क बनाने की कवायद शुरू हुई लेकिन कभी पैसे के अभाव में तो कभी किसी और कारण से सड़क नहीं बन पाई।
व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर करीब 125 लोगों को जोड़ा गया
मोहन सिंह ने बताया कि गांव के कई लोग अल्मोड़ा, देश-विदेश के कई शहरों, दिल्ली-मुंबई, कोलकाता, साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और सऊदी अरब में रहते हैं। व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर करीब 125 लोगों को जोड़ा गया। सबके सहयोग से चार दिन पहले जेसीबी लगाकर सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। करीब छह किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है। अब तक करीब डेढ़ किलोमीटर जमीन काटकर उसका समतलीकरण किया जा चुका है। उन्होंने उम्मीद जताई कि एक महीने में गांव तक सड़क बन जाएगी। सड़क को बनते देख सभी ग्रामीण खुश हैं और समय निकालकर अपने स्तर से सहयोग कर रहे हैं।
गांव के विकास के लिए छोड़ दी नौकरी
मोहन सिंह अधिकारी, नरेंद्र सिंह और ललित फर्त्याल हल्द्वानी में प्राइवेट नौकरी करते थे। उन्होंने बताया कि सड़क बनने तक वह नौकरी छोड़कर गांव लौट आए हैं और इस काम में सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने गांव के अन्य लोगों से भी सहयोग मांगा है। कई और युवा इस काम में रोस्टर बनाकर योगदान देने के लिए आने वाले हैं।
ये लोग कर रहे सहयोग
ग्राम प्रधान पूजा आर्य, मोहन सिंह अधिकारी, नरेंद्र सिंह, खुशाल सिंह नेगी, कैलाश चंद्र, चंदन सिंह, बचीराम, लाल सिंह, कृपाल सिंह नेगी आदि।