इस माह में कई कार्यों को करने की मनाही है, वर्ना इंसान को उसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. आइए जानते हैं कि वर्जित किए गए वे कार्य कौन से हैं.
सनातन धर्म के विक्रम सम्वत कैलेंडर के मुताबिक आश्विन पूर्णिमा के बाद कार्तिक माह की शुरुआत हो जाती है. यह विक्रम सम्वत का 8वां महीना होता है. इस महीने के पूजा-अर्चना और व्रत के लिए बहुत अहम माना जाता है. इस साल 10 अक्टूबर यानी कल से कार्तिक महीना शुरू होने जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस महीने में कई काम करने वर्जित किए गए हैं, जबकि कइयों को अनिवार्य माना गया है.
– कार्तिक माह में शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए. ऐसा करना इस महीने में वर्जित माना गया है. आप चाहें तो केवल नरक चतुर्थी वाले दिन तेल लगा सकते हैं.
– इस महीने में उड़द, मूंग, मसूर, मटर, चना और राई जैसी चीजों को खाने की मनाही की गई है. इसलिए इनसे बचना चाहिए.
– कार्तिक महीने में बैंगन, करेला, जीर और दही के सेवन को भी मना किया गया है. इसकी वजह ये यह महीना मौसम का संक्रमण काल है. ऐसे में ये चीजें खाने से शरीर को नुकसान हो सकता है.
– कार्तिक माह को सनातन धर्म में बहुत शुभ माना गया है. इसी महीने दिवाली, धनरेतस, भाई दूज जैसे त्योहार आते हैं. इस महीने मांसाहार भोजन और मदिरा का सेवन वर्जित किया गया है.
कार्तिक माह में ये कार्य जरूर करें
– कार्तिक महीना पुण्य लाभ वाला होता है. ऐसे में इस पूरे महीने रोजाना शाम के वक्त तुलसी के पास दीप प्रज्वलित करना शुभ माना जाता है.
– यह महीना भगवान विष्णु की भक्ति वाला होता है. लिहाजा इस महीने संभव हो तो जमीन पर सोना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
– कार्तिक माह में दीपदान का बहुत महत्व माना जाता है. आप किसी भी नदी या तालाब में आटे से बना दीप जलाकर प्रवाहित कर दें. इसका पुण्यफल मिलता है.
– इस महीने में भगवा विष्णु और मां लक्ष्मी भक्तों पर जमकर अपनी कृपा बरसाते हैं. इसलिए इस पूरे महीने रोजाना सुबह 4 बजे उठकर गंगाजलयुक्त जल से स्नान करना चाहिए.
– कार्तिक के महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागृत होते हैं और सबसे पहले तुलसी जी को पुकारते हैं. लिहाजा इस महीने सुबह-शाम विधिवत तुलसी जी की पूजा करनी चाहिए.
सनातन धर्म के प्रसिद्ध ग्रंथ स्कंद पुराण में कार्तिक माह का उल्लेख किया गया है. उसमें इस माह को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. ग्रंथ में कहा गया है कि जिस तरह गंगा के समान कोई और नदी नहीं और वेदों के समान दूसरा कोई शास्त्र नहीं, उसी प्रकार कार्तिक माह जैसा कोई दूसरा पवित्र माह नहीं है. पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस महीने नियमित पूजा-पाठ और तुलसी जी का वंदन करता है. उसे सारे सुखों की प्राप्ति होती है.