भारतीय महिला टीम की उपकप्तान स्मृति मंधाना और संगीतकार पलाश मुछाल का रिश्ता आखिरकार टूट गया। मंधाना और मुछाल ने लगभग एक ही समय में इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर शादी रद्द होने का आधिकारिक एलान रविवार को किया। मंधाना और पलाश की शादी 23 नवंबर को महाराष्ट्र के सांगली में होनी थी और दो दिन पहले से शादी की रस्में शुरू हो गई थी। शादी टलने की खबर 23 नवंबर की शाम को आई थी। मंधाना और पलाश ने 17 दिन बाद चुप्पी तोड़ी और स्पष्ट किया कि शादी टूट गई है।
मंधाना-पलाश बोले- अब आगे बढ़ने का समय
मंधाना ने सबसे पहले रविवार दोपहर एक बजकर आठ मिनट पर इंस्टाग्राम स्टोरी लगाई और पोस्ट किया कि उनकी शादी रद्द कर दी गई है। इसके ठीक चार मिनट बाद यानी एक बजकर 11 मिनट पर इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया और बताया कि मंधाना के साथ उनकी शादी टूट गई है। मंधाना ने लिखा, पिछले कुछ सप्ताह से मेरे जीवन को लेकर काफी अटकलें लगाई जा रही हैं और मुझे लगता है कि इस समय मेरे लिए खुलकर बोलना जरूरी है। मैं बहुत निजी इंसान हूं और मैं इसे इसी तरह रखना चाहती हूं, लेकिन मुझे यह स्पष्ट करना होगा कि शादी रद्द कर दी गई है। मैं इस मामले को यहीं समाप्त करना चाहती हूं और आप सभी से भी यही करने की विनती करती हूं। मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि इस समय दोनों परिवारों की निजता का सम्मान करें और हमें अपनी गति से आगे बढ़ने का समय दें।

मंधाना ने आगे लिखा, मेरा मानना है कि हम सभी के पीछे एक बड़ा उद्देश्य है और मेरे लिए वह उद्देश्य हमेशा अपने देश का सर्वोच्च स्तर पर प्रतिनिधित्व करना रहा है। मैं उम्मीद करती हूं कि मैं भारत के लिए यथासंभव लंबे समय तक खेलती रहूं और ट्रॉफियां जीतती रहूं और मेरा ध्यान हमेशा इसी पर रहेगा। आप सभी के समर्थन के लिए धन्यवाद। अब आगे बढ़ने का समय है।
पलाश ने निजी रिश्तों से दूर रहने का किया फैसला
इसके बाद पलाश ने लिखा, मैंने अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने और अपने निजी रिश्तों से दूर रहने का फैसला किया है। मेरे लिए यह देखना बहुत मुश्किल रहा है कि लोग मेरे लिए सबसे पवित्र चीज के बारे में बेबुनियाद अफवाहों पर इतनी आसानी से प्रतिक्रिया दे रहे हैं। यह मेरे जीवन का सबसे मुश्किल दौर है और मैं अपने विश्वासों पर अडिग रहकर इससे निपटूंगा। मैं सचमुच उम्मीद करता हूं कि हम एक समाज के रूप में, किसी के बारे में बिना पुष्टि की गई अफवाहों के आधार पर राय बनाने से पहले रुकना सीखेंगे, जिनके सोर्स कभी पहचाने नहीं जाते। हमारे शब्द हमें ऐसे जख्म दे सकते हैं जिन्हें हम कभी समझ नहीं पाएंगे।









