एक निजी अस्पताल में सीजेरियन में लापरवाही से प्रसूता की मौत के मामले में पति ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र भेजकर महिला डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। 14 दिन तक जिंदगी के लिए जंग लड़ते हुए महिला की मौत के बाद से परिवार सदमे में है।
कठघरिया निवासी व्यक्ति ने बताया कि 15 फरवरी को वह गर्भवती पत्नी दीक्षा को लेकर एक निजी अस्पताल में महिला डॉक्टर के पास जाकर चेकअप कराने ले गए। महिला डॉक्टर ने बच्चे की धड़कन को कम बताते हुए तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी और उसी रात सीजेरियन से डिलीवरी कर दी। अस्पताल में आईसीयू न होने के कारण पत्नी को वार्ड में शिफ्ट किया गया जबकि नवजात को एनआईसीयू में रख दिया। सुबह चार बजे उनकी पत्नी को रक्तस्राव शुरू हो गया। डॉक्टर को जानकारी दी तो वह दोबारा पत्नी को ऑपरेशन कक्ष में ले गई और सी-सेक्शन वाले टांके खोलकर दोबारा लगाए। 16 फरवरी की सुबह तक खून का रिसाव बंद नहीं हुआ तो डॉक्टर ने उनकी पत्नी को सुशीला तिवारी अस्पताल भिजवाया जहां महिला को अतिरिक्त खून चढ़ाया गया। वहां से भी राहत नहीं मिली तो डॉक्टर के कहने पर उसी दिन पत्नी को लेकर बरेली राममूर्ति अस्पताल लेकर गए। वहां वह आईसीयू में भर्ती रही। दो दिन बाद खून तो बंद हो गया लेकिन उसके शरीर में इंफेक्शन फैल गया और किडनी ने काम करना बंद कर दिया। 28 फरवरी को उसकी मृत्यु हो गई। उन्होंने डीएम को बताया कि 15 फरवरी को निजी अस्पताल में सीजेरियन के दौरान कट लगने से प्रसूता का यूरिन आउटपुट बंद हो गया था। 16 फरवरी को दोबारा उन्हें ऑपरेशन कक्ष में ले जाया गया। ऐसी स्थिति में दोबारा टांके लगाने से पहले सीनियर सर्जन को भी नहीं बुलाया गया। उन्होंने संबंधित के खिलाफ कार्रवाई कर डीएम से न्याय की गुहार लगाई है। सीएमओ डॉ.एससी पंत का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है। जांच कमेटी गठित की जाएगी और उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जाएगी।