एक 19 साल का लड़का, जिसका वीडियो इन दिनो सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है। दरअसल, नोएडा सेक्टर-16 से बरौला तक रोजाना दौड़ लगाने वाले इस लड़के का वीडियो हर किसी में कुछ कर दिखाने की ललक जगाने के लिए काफी है। ऐसे में “न्यू भारत” की टीम
पहुंची प्रदीप के घर और उन्हीं की जुबानी सुनी उनकी कहानी। जब प्रदीप ने अपनी जिंदगी के पन्ने पलटे तो मजबूरी और मुफलिसी से जूझते एक लड़के का जुनून नजर आया। इस रिपोर्ट में हम आपको प्रदीप के परिवार से रूबरू करा रहे हैं। यकीन मानिए उनकी कहानी आपको भी भावुक कर देगी।
फौज में जाना चाहते हैं प्रदीप-
नोएडा के बरौला में रहकर प्राइवेट नौकरी करने वाले प्रदीप मेहरा मूलरूप से उत्तराखंड से ताल्लुक रखते हैं। वह बताते हैं कि उन्होंने अपने आसपास रहने वाले सभी लोगों को सेना में शामिल होकर देश की सेवा करते हुए देखा है। ऐसे में वह भी आर्मी ज्वाइन करना चाहते हैं। प्रदीप कहते हैं कि वह बचपन से ही सेना में शामिल होने का सपना देख रहे हैं और लगातार उसके लिए तैयारी कर रहे हैं।
मां है बीमार, आर्थिक तंगी के शिकार
जब प्रदीप ने अपनी कहानी सुनाई तो उनका दर्द चेहरे पर नजर आया। प्रदीप बताते हैं कि उनकी मां काफी बीमार हैं, जिनका इलाज दिल्ली के अस्पताल में चल रहा है। वहां मौसी उनकी देखभाल कर रही हैं। फिलहाल, प्रदीप का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। इसी वजह से दोनों भाई प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं। प्रदीप के मुताबिक, वह और उनके भाई एक ही फैक्टरी में नौकरी करते हैं, लेकिन उनके सेक्टर अलग-अलग हैं।
यह है रात में दौड़ लगाने की वजह
प्रदीप ने बताया, ‘उत्तराखंड में मेरे घर के आसपास रहने वाले सभी लोग सेना की तैयारी करते थे, लेकिन मुझे नौकरी के लिए नोएडा आना पड़ा। अब मैं नौकरी नोएडा में करता हूं तो दौड़ लगाने तो उत्तराखंड नहीं जाऊंगा।’ प्रदीप बताते हैं कि वह नोएडा की एक फैक्टरी में जॉब करते हैं। सुबह उन्हें काम पर जाना होता है। ऐसे में वह सुबह दौड़ नहीं लगा पाते, लेकिन रात में घर लौटते वक्त इसकी भरपाई जरूर करते हैं। प्रदीप कहते हैं कि उन्हें काफी समय से सेना की भर्ती शुरू होने का इंतजार है, लेकिन दो साल से कोई भर्ती नहीं निकली है।
ऐसा रहता है प्रदीप का रुटीन
प्रदीप के मुताबिक, उनकी शिफ्ट दोपहर एक बजे शुरू होती है और रात 9:30 बजे निपटती है। जब वह फैक्टरी से निकलते हैं तो दौड़ लगाने लगते हैं। वह करीब 30 मिनट में नोएडा सेक्टर-16 से बरौला तक की दूरी तय कर लेते हैं। प्रदीप का कहना है कि अगर रास्ते में उन्हें ट्रैफिक न मिले तो वह इस दूरी को और भी कम समय में तय कर सकते हैं। वह करीब 10 बजे तक घर पहुंचते हैं और उसके बाद खाना बनाते हैं। प्रदीप के मुताबिक, उनके भाई पंकज की शिफ्ट देर रात तक खत्म होती है। ऐसे में वह उनका इंतजार करते हैं और दोनों साथ खाना खाते हैं। वहीं, सुबह खाना बनाने की जिम्मेदारी पंकज की होती है।
प्रदीप बताते हैं कि जब से उनका वीडियो वायरल हुआ है, उनका उत्साह और बढ़ गया है। लोग उनसे सीख लेने की बात कह रहे हैं, लेकिन प्रदीप कहते हैं कि किसी भी चीज को हासिल करने के लिए मेहनत ही काम आती है। काफी लोग मेरी मदद करने और मुझे अच्छी अकैडमी में ट्रेनिंग दिलाने की बात कर रहे हैं, लेकिन जब तक मां की तबीयत ठीक नहीं हो जाती, मैं कहीं नहीं जाऊंगा।