पिछले डेढ़ माह से वायरल फीवर, डेंगू, मलेरिया और टायफाइड के मामले लगातार मिल रहे हैं। तकरीबन हर चौथे हर घर में बुखार का मरीज है। इसका असर जिले में पैरासिटामॉल की खपत पर देखने को मिला है। डेढ़ माह में जिले में तीन करोड़ रुपये की पैरासिटामॉल की गोलियां बिक गईं। जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी, पीएचसी और निजी मेडिकल स्टोर पर भी पैरासिटामॉल की जबरदस्त मांग है।
चिकित्सकों का कहना है कि इस बार वायरल बुखार बदले स्वरूप में है। इसका असर कई दिन तक शरीर में रहता है। इस बुखार में डॉक्टरों ने हर चार घंटे पर पैरासिटामॉल खाने की सलाह दी। वहीं डेंगू के नए मरीज भी प्रतिदिन जिले में मिल रहे हैं। इसके चलते बुखार की दवा की खपत काफी बढ़ गई। दवा विक्रेताओं के मुताबिक नवंबर माह में भी यह सिलसिला बना हुआ है।
बाजार में पैरासिटामॉल लगभग 10 ब्रांडेड और 15 जेनरिक दवाओं के रूप में उपलब्ध है। इसमें सबसे अधिक मांग डोलो की है। इसके अलावा लोग कालपोल, एसिक्लोफिनेक, पैरासिटामॉल विद डाइक्लोपिनेक, पैरासिटामॉल-निमोस्लाइड, पैरासिटामॉल-आइबूब्रूपेन भी खरीद रहे हैं। जिले के बाजार में इन दवाओं का एक माह में तीन करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है। साथ ही ऑनलाइन फार्मेसी कंपनियों से भी लोग पैरासिटामॉल की होम डिलीवरी करा रहे हैं।